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03 अक्तूबर 2020

राजस्थान सरकार ,,सेवानिवृत्त अधिकारीयों ,,चहेते अधिकारीयों को ,सुचना आयुक्त के पद पर नियुक्त करने के प्रयासों में है ,,वोह इन पदों के लिए सत्ता में आने के बाद से ही दो वर्षों में आधा दर्जन से ज़्यादा बारे खाली पदों को भरने के लिए विज्ञापन दे चुकी है ,

 राजस्थान सरकार ,,सेवानिवृत्त अधिकारीयों ,,चहेते अधिकारीयों को ,सुचना आयुक्त के पद पर नियुक्त करने के प्रयासों में है ,,वोह इन पदों के लिए सत्ता में आने के बाद से ही दो वर्षों में आधा दर्जन से ज़्यादा बारे खाली पदों को भरने के लिए विज्ञापन दे चुकी है ,, लेकिन सुप्रीमकोर्ट द्वारा अफसरशाहों को इन नियुक्तियों से अलग रखने और नियुक्तियों में पारदर्शिता के मार्गदर्शन के निर्देशों के बाद ,,सरकार के कुछ अधिकारी इस मामले में दो साल से नियुक्तियों की टालम टोल कर रहे है और इसी लिए इन पदों की नियुक्ति के लिए राजस्थान सरकार बार बार विज्ञापन जारी कर रही है ,अभी हाल ही में फिर सरकार ने मुख्य सुचना आयुक्त ,दो आयुक्तों के लिए विज्ञापन जारी किया है ,, सुप्रीम कोर्ट ने अंजलि भारद्वाज ,,भारत सरकार ,के एक मामले में सुनवाई करते हुए ,ऐसी नियुक्तियों में पारदर्शिता रखने , नियमों की पालना करने ,,और ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्तियों पर ऐतराज़ जताया है ,इसके पूर्व भी ,, ऐसी नियुक्तियों के मामले में सुप्रीमकोर्ट तत्काल ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्तियों को लेकर आपत्ति जता चुकी है ,सुचना के अधिकार अधिनियम के तहत , मुख्य सुचना आयुक्त , सुचना आयुक्त के लिए , आवश्यक योग्यता में ,विधि का ज्ञान ,, सूचना के अधिकार अधिनियम की ,जानकारी , समाज सेवा का अनुभव ,, पत्रकारिता का अनुभव , इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का अनुभव ,सोशल मिडिया एक्टिविस्ट ,, प्रशासनिक जानकार होना ज़रूरी है ,, सुप्रीम कोर्ट ने 23 वर्षों की वकालत के अनुभव वाले को ,इस मामले में योग्य माना है ,,, इधर किसी भी सेवानिवृत अधिकारी के पास , सिर्फ प्रशासनिक अनुभव के अलावा ,, विधि की डिग्री के साथ ज्ञान का अभाव है ,अगर कोई न्यायिक अधिकारी कहता है के मुझे विधि का ज्ञान है ,तो मुख्य योग्यताओं में , पत्रकारिता का अनुभव ज़रूरी है ,, समाजसेवा का अनुभव ज़रूरी है , इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का अनुभव ज़रूरी है ,सोशल मीडिया पर एक्टिविस्ट होना ज़रूरी है ,अब अगर कोई भी न्यायिक अधिकारी ,पुलिस अधिकारी ,या प्रशासनिक अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद ,या पद पर रहते हुए ,सुचना आयुक्त के पद पर नियुक्त होता है ,तो वोह निर्योग्य है ,क्योंकि कोई भी अधिकारी नौकरी में रहते हुए पत्रकारिता का अनुभव नहीं ले सकता ,समाज सेवा के कार्यों का अनुभव नहीं ले सकता , सरकारी सेवा आचरण नियम होने से वोह सोशल मिडिया पर भी एक्टिविस्ट की तरह ,या सूचना के अधिकार का एक्टिविस्ट होकर काम करने का अनुभव नहीं ला सकता ,क्योंकि सरकारी अधिकारी के पास यह अनुभव असम्भव है ,, राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में समाजसेवा कोटे से ,, सरकारी सेवा से इस्तीफा देकर आये ,अबूबकर नक़वी की राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड चेयरमेन और सदस्य वक़्फ़ बोर्ड के पद से नियुक्ति इसी लिए अवैध क़रार दी क्योंकि उसमे समाजसेवा का अनुभव ज़रूरी था ,,जो किसी भी सरकारी कर्मचारी को सरकार में कर्मचारी ,या अधिकारी रहते ,, सेवा आचरण नियम के तहत ,, स्वीकृति नहीं मिलती और वोह समाजसेवा क्षेत्र से जुड़ ही नहीं सकता ,, यही मामला सूचना आयुक्त की नियुक्तियों की पात्रता में भी है ,कोई भी पुलिस ,प्रशासनिक अधिकारी , सेवा में रहते हुए ,,किसी क़ीमत पर ,पत्रकारिता का ज्ञान ,,सुचना के अधिकार का ऐटिविस्ट का ज्ञान , सोशल मीडिया पर ऐटिविस्ट का ज्ञान ,,अन्य योग्यताये धारक हो ही नहीं सकता ,ऐसे में ऐसी नियुक्तियां अगर राजस्थांन सरकार ने अपात्र अधिकारीयों की कर भी दी तो दूसरे आवेदकों के हाईकोर्ट , सुप्रीमकोर्ट जाने से यह नियुक्तियां रद्द भी होंगी और राजस्थान सरकार की बेइज़्ज़ती भी होगी ,क्योंकि भाजपा सरकार की वसुंधरा सिंधिया के लिए वक़्फ़ बोर्ड चेयरमेन की नियुक्ति निरस्त होने का बहुत बढ़ा झटका था ,,, अख्तर

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