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19 अक्तूबर 2020

कोटा एलेन कोचिंग से जुड़ा छात्र सोएब आफ़ताब ,, 720 में से 720 अंक लाकर टॉपर रहा ,बिटिया आकांक्षा आकाश इंस्टीट्यूट कोचिंग की भी इस तरह से टॉपर रही ,

 कोटा एलेन कोचिंग से जुड़ा छात्र सोएब आफ़ताब ,, 720 में से 720 अंक लाकर टॉपर रहा ,बिटिया आकांक्षा आकाश इंस्टीट्यूट कोचिंग की भी इस तरह से टॉपर रही ,, अंकों के नियमों का हवाला था ,, एलेन का सोएब अव्वल ,आकाश की आकांक्षा दूसरी अव्वल थी , ख़ुशी की बात है, देश के इन बच्चों ने , कोरोना के खिलाफ जंग के माहौल में , आत्मविश्वास ,भरोसे , जीत का एक माहौल बनाया , ,कोई काम नहीं है मुश्किल जब किया इरादा पक्का ,, की कथनी करनी को एक करके दिखाया , लेकिन यह जो चंद रुपयों की टकसाल है ,यह क़लम को खरीद लेती है ,यह सच दिखाने वाले मीडिया को तवायफ की तरफ मुजरा करने को मजबूर करती है , एक फूल पेज का विज्ञापन ,, मीडिया को , झूंठ ,गुमराही की तरह लार टपकाने को मजबूर कर देती है ,, जी हाँ दोस्तों ,, कोचिंगों का विज्ञापन युद्ध ,झूंठ फरेब की जंग ,,देश भर के छात्र छात्राओं ,, आम लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है ,, रोज़ मर्रा झूंठ को ,क्लासरूप ,, दूरस्थ शिक्षा छात्र के नाम पर , परोसा जा रहा है ,,, अजीब बात थी ,,देश के एक दैनिक अख़बार ने मुख पृष्ठ पर ,हमारे कहकर किसी छात्र का नाम लिया उसकी रेंक बहुत पीछे थी ,, लेकिन पहले उनका नाम लिखा ,फिर सोएब का नाम लिखा गया ,खेर यह मानसिकता की परवरिश थी ,,इधर एक अख़बार ने कमाल ही कर दिया ,एक पेज का विज्ञापन ,, विज्ञापन में ही खबर का स्वरूप ,, खबर ,आकाश के दो टॉपर , उसमे क्लासरूम आकांक्षा और ,दूरस्थ सोएब आफताब का नाम था ,कोटा सहित देश भर के , सभी लोग आश्चर्य चकित थे ,, वोह ऐसी पत्रकारिता को कोस रहे थे ,बात ठीक है , अंदर क्लासरुम और दूरस्थ का खुलासा था , लेकिन हेडिंग में साफ़ भ्रम फैलाने के हालात थे ,, बिगड़े हुए हालात थे , पत्रकारिता को कलंकित करने वाले हालात थे , एक वक़्त पत्रकारिता वोह थी ,जब अगर ऐसा होता , तो अखबार खुद ,ऐसे आकाश इंस्टीट्यूट द्वारा सोएब आफ़ताब का विज्ञापन क्लेम करने पर उसकी बखिया उखेड़ देता , लेकिन आज , मिडिया सपोर्ट है ,, गुमराही है ,झूंठ है ,फरेब है ,, सच को झूंठ में मिलाकर गुमराही की सौदेबाज़ी है ,, एक अख़बार से जुड़े मेरे भाई का इस मामले में खुलासा समझने के लिए फोन आया , में क्या कहता , ,भाई यह विज्ञापन युद्ध है , यह विज्ञापन युग है ,, बढे बढ़े , भ्रष्टाचार ,अत्याचार ,,झूंठ ,फरेब ,गुमराही के क़िस्सों के मुंह पर ,, विज्ञापनों का ,फीलगुड फेक्टर का ताला लगा है , खेर में मेरे इन कोटा के आठ महीनों से विज्ञापनों के लिए तरस रहे भाइयों को कोई दोष नहीं ,दूंगा ,, क्योंकि कोरोना युग में पत्रकारों की छटनी के दौर के बाद ,अचानक , मोत मय्यत के बढे बढे विज्ञापनों का महिमाममंडन दौर चला और अब कहीं जाकर ,,यह विज्ञापन उनकी ज़रूरतें पूरी कर रहा है , अख़बारों का सर्कुलेशन कम है ,लोग डर के मारे अख़बार नहीं खरीद रहे ,, मंत्री ,मुख्यमंत्री ,केंद्रीय मंत्री , अधिकारीयों , ,डॉक्टर्स सभी से बार बार स्पष्टीकरण , के अख़बारों से कोरोना नहीं फैलता देने के बावजूद भी बहुत ज़्यादा स्थिति सुधरी नहीं है ,,, देश में भांडगिरी करने वाले ,, न्यूज़ चेनल्स , से तो यह अख़बार , यह प्रिंट मीडिया करोड़ों करोड़ तरीके से बेहतर है ,उनके मुक़ाबले में अगर वोह ज़ीरों सैद्धांतिक है ,,सो फीसदी भड़काऊ , उकसाऊ है ,तो यह उनसे बहुत से भी बहुत ज़्यादा बेहतर है ,, समाज में सुधार की एक उम्मीद है , बस इन्हे खुद को थोड़ा और बदलना है ,आज अखबार में आकाश कोचिंग की धज्जियाँ होती , उसके सोएब के विज्ञापित क्लेम की बखिया उखेड़ी जातीं , लेकिन खेर कोई बात नहीं ,में बात करूँ मेरे उस पत्रकार भाई की जो इस व्यवस्था के पोस्टमार्टम के लिए मुझे वचन दे चुके है ,,नया जोश है , नया होश है ,जो यह सब अजीब सा लग रहा है ,, लेकिन सच तो यही है ,यह खबर ,इस मामले में पोस्टमार्टम की खबर ,अगर उनके अख़बार में भेजी तो , विज्ञापन आने तक तो वोह खबर खूब चलेगी , वरना फिर वही क़िस्से ,कोचिंग में कुछ भी हो जाए ,बढ़ा अपराध हो जाए ,, नाम नहीं आएगा ,सिर्फ एक संस्थान , रटा रटाया वही शब्द , क्योंकि सटोरिये से पचास रूपये बरामद होने पर ,सभी प्रिंट मीडिया में एक ही खबर ,,सटोरियों पर छापा , नाम ,बाप का नाम ,पता ,गली नंबर उम्र ,जाती सब कुछ हवाला उसमे होगा , लेकिन अस्पताल में अगर लापरवाही से आदमी मार दिया जाए ,, कोचिंग में या फिर किसी भी विज्ञापनदाता , या सेटिंग दाता के यहाँ , उनके किसी व्यक्ति द्वारा कोई अपराध कर दिया जाए ,, उसका नाम नहीं ,आयेगा बस एक संस्थान , लिखा जाएगा ,और खबर या तो नहीं होगी ,,होती तो पूरी तरह से एडिटेड ,,डेडिकेट होगी , बस इस सोच में ,क़लम के इस भ्रम में , फिर से वही पुरानी आग , वही पुरानी सच्चाई ,, वही पुरानी क्रान्ति की ज़रूरत है ,जो छोटे , मंझोले समाचार पत्रों के प्रकाशकों से ही शुरू होना संभव है ,क्योकि जो बढे होते है , वोह कैसे बढे होते है ,सभी जानते है ,, जो इन में काम करने वाले होते है ,उनकी अपनी सोच होती है ,वोह आज़ाद होते है ,वोह जो देखते है ,उस पर उन्हें गुस्सा आता है ,खूब लिखने का मन करता है ,लेकिन यह सब संस्थान के ,बाहर संस्थान में तो वोह सिर्फ एक रोबोट होते है ,, एक मशीन होते है ,एक कर्मचारी होते है ,एक मालिक का हुक्म ,क्या हुक्म है मेरे आक़ा , मानने वाले होते है ,,, हाल ही में उदयपुर के सुप्रसिद्ध पत्रकार , क़लमकार , यू ट्यूब चैनल के निर्माता ,प्रसारक भाई अख़बार खान ने मेरे कुछ अल्फ़ाज़ों में चार चाँद लगाकर ,, उनको जिस प्रभावशाली तरीके से इस मामले में पेश किया ,में उनकी इस विधा ,उनकी इस कला का तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ,निश्चित तोर पर पत्रकारिता के इस गिरावट के ,बाज़ारवाद के दौर बदलाव की शुरुआत है , अभी राख हुई ,,ख़ाक हुई ,पत्रकारिता में चिंगारी तो दिखी है ,अगर इन चिंगारियों को हवा मिली तो फिर से यह पत्रकारिता ,आग के शोले बनेगी ,फिर से इन आग के शोलों में देश का भ्रस्टाचार ,अत्याचार ,.,ज़ुल्म ,ज़्यादतियां ,झूंठ ,फरेब , नफरत की आवाज़े , नफरत की चालबाजियां , चापलूसियां जल कर राख होंगी ,जल कर ख़ाक होंगी ,और इन आग के शोलों से ,, इंसाफ , ईमानदारी की रौशनी फिर से देश भर में पत्रकारिता के स्वाभिमान ,,पत्रकारिता के मान सम्मान के साथ रोशन होगी ,,, ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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