आपका-अख्तर खान

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19 अक्तूबर 2020

तुम्हारा प्यार समंदर है इसकी थाह नही

 

तुम्हारा प्यार समंदर है इसकी थाह नही
फिर ये कैसी है तोहमत हमें परवाह नही
ठहरते दर्द के बेड़े उदास साहिल पर
उधर तुम कहते हो मोजों को कोई चाह नही
किया है तुमने अलग मछलियों को पानी से
तुम्हारी नज़रों में क्या यह कोई गुनाह नही

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