सभी वर्गो को
ध्यान में रख कर प्रशासन को निर्णय लेना चाहिए और बेमतलब के लोक डाउन से
किसी का भी भला नही होगा, जनता परेशान से बेरोजगारी से, पैसों की तंगी से
काम चल नही रहे जो काम सालो से किया जा रहा था वह लोगो को छोड़ना पड़ रहा है,
नए का पता नही की चालेगा की नही फिर आप
कहते हो घरों में रहो अरे भाई लोग घरों में तो रह लेंगे लेकिन जीतने दिन वह
घरों में रहेंगे उतने दिन क्या उनको खाने का दिया जाएगा, बिजली का बिल नही
देना होगा, मकान का किराया भी नही देना इस बीच बीमार हो जायेगे तो वह भी
सरकार खर्च देदेगी, तो फिर जो किस्तें है वह भी जमा हो जाएगी तो फिर लोगो
को घरों में बंद करो और नही तो किस बात का लोक डाउन, लोग डरने लगे है,
बीमारी से नही भूख से, भी आप मार्किट को मैनेज करो वहां भीड़ को कैसे
नियंत्रित करना है वह काम हो लेकिन किसी का काम मत रोको ।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 सितंबर 2020
सभी वर्गो को ध्यान में रख कर प्रशासन को निर्णय लेना चाहिए
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