आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

27 सितंबर 2020

आ गए तुम?

 

एक सुंदर कविता ---
आ गए तुम?
द्वार खुला है, अंदर आओ..!
पर तनिक ठहरो..
ड्योढी पर पड़े पायदान पर,
अपना अहं झाड़ आना..!
मधुमालती लिपटी है मुंडेर से,
अपनी नाराज़गी वहीँ उड़ेल आना..!
तुलसी के क्यारे में,
मन की चटकन चढ़ा आना..!
अपनी व्यस्ततायें, बाहर खूंटी पर ही टांग आना..!
जूतों संग, हर नकारात्मकता उतार आना..!
बाहर किलोलते बच्चों से,
थोड़ी शरारत माँग लाना..!
वो गुलाब के गमले में, मुस्कान लगी है..
तोड़ कर पहन आना..!
लाओ, अपनी उलझनें मुझे थमा दो..
तुम्हारी थकान पर, मनुहारों का पँखा झुला दूँ..!
देखो, शाम बिछाई है मैंने,
सूरज क्षितिज पर बाँधा है,
लाली छिड़की है नभ पर..!
प्रेम और विश्वास की मद्धम आंच पर,
चाय चढ़ाई है,
घूँट घूँट पीना..!
सुनो, इतना मुश्किल भी नहीं हैं जीना..!!
( प्रसिद्ध कवयित्री, परम श्रद्धेय स्व : श्रीमती महादेवी वर्मा जी को सादर शत-शत प्रणाम और आभार सहित )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...