उर्दू के साथ नाइंसाफी के खिलाफ ,हम लोग ,, डूंगरपुर ,उदयपुर की तरह हिंसा का रास्ता तो नहीं अपना सकते ,, लेकिन ,,यही वोह उर्दू है , जिसके इंक़लाब ज़िंदाबाद के नारे ने ,, भारत से अंग्रेज़ों को भगा दिया था ,सोच लो जनाब ,, यह उर्दू है ,उर्दू की तहज़ीब ,है यह उर्दू की वफादारी है ,,, उर्दू है तो तुम हो , वर्ना जब गोर अँगरेज़ ही नो दो ग्यारह हो गए , तो हम आप तो काले अंग्रेज़ है ,हमे तो सत्ता से पटकनी देने में उर्दू ,तहज़ीब को इतना वक़्त भी नहीं लगेगा ,,,अख्तर
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