और हमने कितनी बस्तियों को जिनके रहने वाले सरकश थे बरबाद कर दिया और उनके बाद दूसरे लोगों केा पैदा किया (11)
तो जब उन लोगों ने हमारे अज़ाब की आहट पाई तो एका एकी भागने लगे (12)
(हमने कहा) भागो नहीं और उन्हीं बस्तियों और घरों में लौट जाओ जिनमें तुम चैन करते थे ताकि तुमसे कुछ पूछगछ की जाए (13)
वह लोग कहने लगे हाए हमारी शामत बेशक हम सरकश तो ज़रूर थे (14)
ग़रज़ वह बराबर यही पड़े पुकारा किए यहाँ तक कि हमने उन्हें कटी हुयी खेती की तरह बिछा के ठन्डा करके ढेर कर दिया (15)
और हमने आसमान और ज़मीन को और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है बेकार लगो नहीं पैदा किया (16)
अगर हम कोई खेल बनाना चाहते तो बेशक हम उसे अपनी तजवीज़ से बना लेते अगर हमको करना होता (मगर हमें शायान ही न था) (17)
बल्कि हम तो हक़ को नाहक़ (के सर) पर खींच मारते हैं तो वह बातिल के सर
को कुचल देता है फिर वो उसी वक़्त नेस्तो नाबूद हो जाता है और तुम पर
अफ़सोस है कि ऐसी-ऐसी नाहक़ बातें बनाया करते हो (18)
हालाँकि जो (फरिश्ते) आसमान और ज़मीन में हैं (सब) उसी के (बन्दे) हैं
और जो (फरिश्ते) उस सरकार में हैं न तो वो उसकी इबादत की शेख़ी करते हैं
और न थकते हैं (19)
रात और दिन उसकी तस्बीह किया करते हैं (और) कभी काहिली नहीं करते (20)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
24 अगस्त 2020
और हमने कितनी बस्तियों को जिनके रहने वाले सरकश थे बरबाद कर दिया और उनके बाद दूसरे लोगों केा पैदा किया
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