आपका-अख्तर खान

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11 अगस्त 2020

झूंठे इल्ज़ामों की

 झूंठे इल्ज़ामों की
बौछारों के साथ ,
रोज़ कहते हो
छोडूं , छोडूं ,
मोहब्बत से बढ़ा
ज़मीर है मेरा ,
लो में ही तुम्हें
तर्क किये जाता हूँ , अख्तर

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