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10 अगस्त 2020

मोहब्बत का एक पेड़

 मोहब्बत का एक पेड़
भरोसे की खाद से
हरा भरा था ,
खिले फूलों से महका था,
फिर एके दिन
शक, बेवफाई के तेज़ाब ने
पेड़ की हरियाली जला डाली,
पेड़ जल कट ठूठ हो गया ,
मेने फिर भरोसा डाला
फिर भी ठूठ ठूठ रहा
इस ठूठ को आज
में उखाड़ आया हूँ
ठूठ की जड़ों में फिर भी
मोहब्बत के फिर भी अंकुर है
शायद भरोसे की खाद से
पेड़ फिर फूलों से महके
फिर से हो यह पेड़ हरा भरा , अख्तर

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