मोहब्बत का एक पेड़
भरोसे की खाद से
हरा भरा था ,
खिले फूलों से महका था,
फिर एके दिन
शक, बेवफाई के तेज़ाब ने
पेड़ की हरियाली जला डाली,
पेड़ जल कट ठूठ हो गया ,
मेने फिर भरोसा डाला
फिर भी ठूठ ठूठ रहा
इस ठूठ को आज
में उखाड़ आया हूँ
ठूठ की जड़ों में फिर भी
मोहब्बत के फिर भी अंकुर है
शायद भरोसे की खाद से
पेड़ फिर फूलों से महके
फिर से हो यह पेड़ हरा भरा , अख्तर
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
10 अगस्त 2020
मोहब्बत का एक पेड़
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