प्रशांत भूषण प्रकरण,,,,
"गिरने से निगाहों को
बचा दीजिए हुजूर"
"यह सत्य और तराजू हटा दीजिए हुजूर"
"दीवारों पे शुभलाभ लिखा दीजिए हुजूर"
"फिर कोई भी उम्मीद करे आपसे सच की,
उसको कहीं सूली पे चढ़ा दीजिए हुजुर"
"सरपंच से हटते ही सियासत का पैरहन,
गर ठीक है तो सबको सिला दीजिए हुजूर"
रोका नहीं गया क्यों मजदूरी पे हमला,
मजदूरों को यह राज बता दीजिए हुजूर
हम देख के भी चुप हैं पेशकार की पेशी,
पेशी का ये दस्तूर मिटा दीजिए हुजूर
हिलता है हवाओं से दरवाजे का पर्दा,
जुर्माना हवा पे भी लगा दीजिए हुजूर
अबभी टिकी हैं सबकी निगाहें हुजूर पर,
गिरने से निगाहों को बचा दीजिए हुजूर,,लिखने के अंदाज में कमी हो सकती
हैं,जरूर,, आप भी कुछ तो कुछ अपनी राय-बताइये हजूर,,
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 अगस्त 2020
"गिरने से निगाहों को बचा दीजिए हुजूर"
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