- इस में नबी यूसुफ (अलैहिस्सलाम)
की पूरी कथा का वर्णन किया गया है। इस के द्वारा यह संकेत किया गया है कि
मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जिन को मक्का में कुरैश ने जान से मार
देने अथवा देश से निकाल देने की योजना बनायी है वह ऐसे ही निष्फल हो
जायेंगे जैसे यूसुफ़ (अलैहिस्सलाम) के भाईयों की सारी योजना निष्फल हो गई|
और एक दिन ऐसा भी आया कि सब भाई उन के आगे हाथ फैलाये खड़े थे|
और कुआन की यह भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई। - आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मदीना हिज्रत कर गये| फिर सन् (8) हिज्री में आप ने मक्का को विजय किया तो आप के विरोधि कुरैश आप के आगे उसी प्रकार विवश खड़े थे जैसे युसुफ (अलैहिस्सलाम) के भाई उन के आगे हाथ फैलाये कह रहे थे की आप हमे दान कीजिये, अल्लाह दानशीलों को अच्छा बदला देता है। और जैसे यूसुफ (अलैहिस्सलाम) ने अपने भाईयों को क्षमा कर दिया वैसे ही आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने भी कहाः जाओ, तुम पर कोई दोष नहीं, अल्लाह तुम्हें क्षमा करे वह सर्वोत्तम दयावान् है| आप उन के अत्याचार का बदला ले सकते थे किन्तु जब आप ने उन से पूछा कि तुम्हारा विचार क्या है कि मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगा?? तो उन के यह कहने पर कि आप सज्जन भाई तथा सज्जन भाई के पुत्र हैं, आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहाः मैं तुम से वही कहता हूँ जो यूसुफ़ (अलैहिस्सलाम) ने अपने भाईयों से कहा था कि आज तुम पर कोई दोष नहीं, जाओ तुम सभी स्वतंत्र हो| हदीस में है कि सज्जन के सज्जन पुत्र के सज्जन पुत्र, यूसुफ़ पुत्र याकूब पुत्र इसहाक पुत्र इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) हैं। (देखियेः सहीह बुख़ारी, हदीस नं: 3382) एक दूसरी हदीस में आया है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया कि यदि मैं उतने दिन बंदी रहता जितने दिन यूसुफ (अलैहिस्सलाम) बंदी रहे तो जो व्यक्ति उन को बुलाने आया था मैं उस कहा जाओ, तुम पर के अत्याचार काम्या है कि मैं तुम्हारी के साथ चला जाता। (देखियेः सहीह बुख़ारीः हदीस नं: 3372, और सहीह मुस्लिमः हदीस नं: 2370) याद रहे कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के इस कथन से अभिप्राय यूसुफ़ (अलैहिस्सलाम) के सहन की सराहना करना है।
- इस सूरह में यह शिक्षा है कि जो अल्लाह चाहे वही होता है। विरोधियों के चाहने से कुछ नहीं होता, इस में नव युवको के लिये अपनी मर्यादा की रक्षा के लिये भी एक शिक्षा है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 मई 2020
जो अल्लाह चाहे वही होता है। विरोधियों के चाहने से कुछ नहीं होता
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)