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24 अप्रैल 2020

पत्रकार ,पत्रकारिता के साथ ,साथ ,क़लमकार ,संवेदनशील भी होता है

पत्रकार ,पत्रकारिता के साथ ,साथ ,क़लमकार ,संवेदनशील भी होता है ,,,एक अच्छा ,निष्पक्ष पत्रकार ,का अपना ,सामाजिक सरोकार भी होता है , वोह क़लम से ,खबरों से ,अधिकारियों ,ज़िम्मेदारों तक , लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष भी करता है ,, यहां धरातल पर ,लोगों को इन्साफ दिलाने की ओरिजनल पत्रकारिता से जुड़े भाई जीनगर दुर्गाशंकर गहलोत ,लगातार इस व्यवस्था में जुट कर ,कसौटी पर खरे ,,सो टका चौबीस कैरेट साबित हुए है ,,,यूँ तो चाहे ,दंगे का माहौल ,चाहे ,प्रताड़ना के मामले हों ,जनसमस्याओं के मुद्दे हो ,हर वक़्त ,सामप्रदायिक सद्भाव के साथ ,पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए भाई दुर्गाशंकर की क़लम ,इनकी अक़्ल ,, इनकी फिज़िकल एपियरेंस हमेशा तैयार , तत्पर रही ,है लकिन वर्तमान कोरोना संकट में भाई दुर्गाशंकर गहलोत , राहत कार्यों के लिए एक सुत्रधार , एक मददगार ,एक निगराकार बनकर उभरे ,है ,राजस्थान का कोई भी क्षेत्र हो वहां की समस्याओं उनके समाधान के लिए प्रयास करते रहे है ,यह प्रयास करते है ,,दिखावा नहीं करते ,यह क़लम चलाते ,है , लिख कर खामोश नहीं हो जाते ,अपनी बात ,अपनी आवाज़ ,संबंधित अधिकारी ,,,लीडर ,मंत्री ,मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री तक रोज़ मर्रा पहुंचाते है , अभी केकड़ी से पैदल चले मज़दूरों की जानकारी इन्हे मिली ,जो केकड़ी से मज़दूरी के लिए ,मनोहरथाना जाना चाह रहे थे ,उनकी समस्या की सुचना वरिष्ठ अधिकारीयों को ,देना समाजसेवकों से सम्पर्क कर रास्ते में उनकी रोटी पानी की व्यवस्था करवाना इन्होंने अपनी ज़िम्मेदारी समझा और वोह मज़दूर अपने गंतव्य पर पहुंच गए ,,कोटा में कॉरोना संकट में लोकडाउन है ,,कर्फ्यू है ,, कई जगह पर लोगों में परेशानी है ,दिक़्क़ते ,है ,दुर्गाशंकर गहलोत रोज़ मर्रा ,लोगों से फोन पर सम्पर्क करते ,है हालात जानते है ,अव्यवस्थाओं का नज़ारा देखते है ,और संबंधित समाजसेवकों ,,ज़िम्मेदारों ,प्रशासनिक अधिकारीयों ज़िम्मेदारो से चर्चा करते है ,उन्हें मोटिवेट करते है ,,ज़रिये ई मेल आम जनता की समस्याएं ,उनके समाधान के तरीके मोहल्लेवार , प्रशासनिक ज़िम्मेदारो के पास पहुंचाते है ,उनसे क्रॉस टेली करते है ,,एक सच्चे पत्रकार ,एक सच्चे क़लमकार की संवेदनाओं की यही पहचान है ,सिर्फ आलोचना करना इनका मक़सद नहीं ,इनका मक़सद है के काम होना चाहिए ,लेकिन इस काम में सिर्फ ,कहना ,,सिर्फ आलोचना नहीं ,,खुद भी कोशिश करना चाहिए ,लिखना चाहिए ,,मेल करना चाहिए ,शिकायतें अफसरों को फोन पर भी करना चाहिए ,और फिर लिखना भी है ,,भौतिक रूप से समस्याओं के समाधान के प्रयास भी करना है ,वोह कहते है , खुद कुछ करोगे तो ही समस्याओं के बारे में समझोगे ,तो ही समस्याओं के समाधान ,,संबंधित ,सरकार या ज़िम्मेदारों की आलोचना करने का अधिकार है ,वर्ना अल्फ़ाज़ों की आलोचना तो घर बैठे कोई भी कर सकता है ,,
जी हाँ दोस्तों आप से मिलिए आप है समाज सेवक ,,पत्रकार जीनगर दुर्गा शंकर गेहलोत ,,पाक्षिक समाचार सफर के संपादक प्रकाशक ,,,,भाई जीनगर दुर्गा शंकर दुर्गा बनकर गरीबी और ज़ुल्म सितम का विष शंकर बनकर उस समस्या के ज़हर को पीकर गरीबों को इन्साफ दिलाने के लिए दुर्गा शंकर बने है ,,,,कोटा के इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड फैक्ट्री में कार्यरत रहे दुर्गा शंकर ने जब इस उद्द्योग में सभी सुविधाये और मुनाफा होते हुए सरकारी भ्रष्टाचार व्याप्त होने से सिसकते देखा तो ,,जीनगर दुर्गा शंकर गेहलोत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की ,,,इसी दौरान गेहलोत मेरे सम्पर्क में आये ,,,गेहलोत इंस्ट्रूमेंटेशन के अधिकारीयों के भ्रष्टाचार के कच्चे चिट्ठे बताते थे और में अपने समाचार पत्र में बेखौफ ,,बेधडक भ्रष्टाचार की दास्ताँ उजागर करता था ,,,कई सालो तक तो दुर्गाशंकर की इस लड़ाई के चलते इंस्ट्रूमेंटेशन बीमारू होने से बचती रही ,,लेकिन भ्रष्टाचारियों सक्रिय काकस ,,गेहलोत को काँटा समझने लगा ,,गेहलोत का स्वभाव रहा है के वोह टूट सकते है लेकिन झुक नहीं सकते ,,,वोह मर सकते है लेकिन बिक नहीं सकते ,,,गरीब और गरीबी उन्हें पसंद है ,,ज़मीर बेचकर ,,,देश बेचकर ,,इमान बेचकर अमीर बनने के वोह हमेशा खिलाफ रहे है ,,,,,,,,,,,जब भ्रष्टाचारियो का ज़ुल्म हद से बढ़ गया तो इन्होें अपनी नौकरी छोड़कर ,,खुद हिडन पत्रकार से ,स्वतंत्र पत्रकार बनने का संकल्प लिया और ,,,प्रिंट मिडिया के संक्रमण काल में समाचार सफर पाक्षिक अख़बार चौबीस पेज का निकालना शुरू किया ,,महनत इनकी थी ,,इनके समाज ,,दलित ,,,अल्सपंख्य्क सभी वर्ग के पीड़ित और ईमानदार लोगों ने इनका साथ दिया ,,कई पूर्व आई ऐ एस ,,,वरिष्ठ ख्यातनाम साहित्यकार और समाज सेवक इनसे इनके अख़बार से जुड़ते गए और ,,संक्रमण काल का दौर होने के बावजूद भी गेहलोत सफल पत्रकार साबित हुए ,,,,गेहलोत ने वर्ष 89 में नफरत और दंगे का माहोल देखा है ,,,ज़ुल्म ज़्यादती के हालात देखे है ,,इन्होने पीड़ितों और शोषितों के हक़ में अत्याचार के खिलाफ संघर्ष क्या है ,पीड़ितों को न्याय दिलवाया और गहलोत दलित ,,मुस्लिम समाज में यह विशिष्ठ पहचान वाले व्यक्तित्व बन गए ,गेहलोत कई समाज सेवी संगठनों से जुड़े है ,,वोह लिखते है ,,गज़ब का निर्भीक और निष्पक्ष लिखते है ,,,,,,,,अनेकों बार उनकी लेखनी ,,उनका हुलिया और ज़ालिमों के खिलााफ उठने वाली ,उनकी आवाज़ देखकर लोग उन्हें मुल्ला दुर्गा शंकर कहकर भी सम्बोधित कर देते है ,,लेकिन वोह न डरे ,, ना बिके ,,बस अपने संघर्ष में जुटे रहे ,,,,,,,इनका समाचार पत्र समाचार सफर पाक्षिक आज पुरे भारत में दलितों और शोषितों की आवाज़ बना है ,,पूरा अखबार यह खुद अपने हाथ से लिखते है ,,,खुद उसमे छपने वाली सामग्री का चयन करते है ,,गेहलोत ने जब अख़बार की दुनिया में प्रवेश क्या,,, तो डी पी आर ,,डी ऐ वी पी ,,आर ऍन आई जैसे समाचार पत्रों के विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार देख दुखी हो गए ,,जब यह समाज को नैतिकता की शिक्षा देने की बात करने वाले पत्रकारों को,, अपने अपने समाचार पत्रों का जायज़ काम करवाने के लिए खुलेआम रिश्वत का खेल चलते देखते थे,, तो बहुत निराश होते थे ,,लेकिन इन्होने इस के खिलाफ संघर्ष का मन बनाया ,,संघर्ष भ्रष्टाचारियों के खिलाफ था,, दलाल अख़बारों के खिलाफ था ,,ज़ाहिर है,, लम्बा संघर्ष था ,,लेकिन आखिर में जीत जीनगर दुर्गाशंकर गेहलोत की हुई ,,,वोह देश बदलने की सोचते है ,,संघर्ष करते है ,,देश में एकता ,,,सद्भाव के लिए आन्दोलनरत है ,,भ्रष्टाचार मुक्त भारत ,,समस्या मुक्त भारतीयता उनका नारा है ,,,खुदा उन्हें कामयहब करे और उनकी लेखनी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ संघर्ष कर उन्हें भस्मासुर की तरह खत्म करती रहे इसी दुआ के साथ ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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