शुक्रिया मेरे दोस्तों , शुक्रिया मेरे हमदर्द भाइयों ,इस शहर ,इस शहर के
लोगों के लिए निष्पक्ष ,हमदर्दाना सोच रखने वाले सभी मेरे भाइयों का बहुत
बहुत शुक्रिया ,, आपका दर्द ,,खासकर घंटाघर क्षेत्र के ,भूख से बिलखते
बच्चों ,,दवाइयों ,इलाज के लिए तरसते लोगों के लिए ,, बगावत कर रही
महिलाओं के वाइरल विडिओ को लेकर यक़ीनन क़ाबिल ऐ तारीफ़ है ,,लेकिन कुछ सुझाव
,कुछ कोशिशें हमारी तरफ से होना चाहिए ,कितने लोग है जिन्होंने इस मामले
में कंट्रोल रूम फोन किया ,कितने लोग है ,जिन्होंने इस मामले में कोटा
कलेक्टर को फोन किया ,,कितने लोग है ,जिन्होंने इस मामले में ,पीड़ित लोगों
के हाल जानने के लिए ,यहाँ के सभी राजनितिक संगठन के जिला अध्यक्षों
,,विधायकों ,सांसद चुनाव लड़े लोगों से बात कर ,,इस दर्द का बयान किया
,,,कितने लोग है ,जिन्होंने अख़बार वालों ,पत्रकारों ,,टी वी जर्नलिस्टों से
,,इस क्षेत्र में जो कुछ भी खबर फीडबैक उन्हें मिल रहा है ,,जिस दर्द से
वोह आहत है ,वहां जाकर ,,सही ,सच्ची रिपोर्टिंग कर ,प्रशासन की आँखें खोलने
,वहां चाय ,नाश्ते ,ब्रेड ,सब्ज़ियां ,खाने के पैकेट ,किट वितरित करने वाले
समाजसेवियों की सच्चाई बयान करने ,,वहां कोन भूखा है ,कोन प्यासा है ,कोन
बीमार है ,,किसका इलाज नहीं हुआ ,,किसे खाने की ज़रूरत है ,लेकिन उसके पास
खाना ,या किराना ,किट सब्ज़ी वगेरा नहीं है ,,चलो कितनी कोशिश की ,कितने
लोगों को किस ज़िम्मेदार को फोन किया ,,, कोटा शहर क़ाज़ी ,,या वहां अपनी जान
पर खेलकर काम करने का दावा कर रहे जांबाज़ वॉलंटियर लोगों में से कितने
लोगों को ,वहां की तस्वीर से अवगत कराया ,,कोई बता सकता हो तो ज़रूर बता
देना प्लीज़ ,,हाँ आज भास्कर में खबर है ,लेकिन वोह खबर ,एक क्षेत्र के
हालातों तक जाकर रुक गयी ,अंदर तक नहीं पहुंच सकी ,क्या इन हालातों में इस
क्षेत्र में जहां पत्रकारों को खुले रूप से आने ,जाने ,निष्पक्ष रिपोर्टिंग
की इजाज़त है ,उन्हें जाकर इन हालातों की अक्कासी ,रोज़ रोज़ अपने अख़बारों
में ,या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में नहीं करे ,,करना चाहिए ,,अगर यहां
पत्रकार भाइयों सब कुछ सही नज़र आये तो प्रशासन और समाज सेवी वॉलंटियर्स की
पीठ् थपथपाना चाहिए ,अगर गलत है ,कुछ दिक़्क़तें है तो कुछ व्यवहारिक
सुझावों के साथ ,,कुछ समाजसेवकों की गलत कहानियों के क़िस्सों के साथ ,इस सच
को जनता के सामने ,प्रशासन के सामने सरकार के सामने लाना ही चाहिए ,,यह
सवाल ,कांग्रेस भाजपा ,इसकी क़मीज़ मेरी क़मीज़ से सफेद क्यों इस पर्तिस्पर्धा
का सवाल है ,मानवता का सवाल है ,,हम क्या कर रहे है , हमने क्या कोशिश की
,,शहीद भगत सिंह हम क्यों नहीं बनते ,दुसरो की तरफ क्यों झांकते है , हम
हमदर्द है तो खुद दो लोगों की टीम बनाकर , पत्रकारों से इस क्षेत्र की
ओरिजनल तस्वीर की रिपोर्टिंग का दबाव क्यों नहीं बनाते ,,खुद कोटा शहर क़ाज़ी
या फिर जो इस क्षेत्र में समाजसेवा का दावा कर रहे है ,उन तक पहुंच कर
उनके हालात जानकर समझकर ,उनके साथ मिलकर काम क्यों नहीं करते ,,चलो उनके
साथ काम मत कीजिये ,उन्हें तो इलज़ाम दीजिये वोह तो बुरे है ,लेकिन आप और हम
तो अच्छे है ना खुद जाकर कलेक्टर से इस क्षेत्र में उन्हें जो भी फीड बेक
मिला ,है उस फीड बेक के हिसाब से ,समस्याओं के समाधान की बात क्यों नहीं
करते ,खुद इस इलाक़े में सेवा के लिए ,अपने साथियों के साथ खुलकर मैदान में
क्यों नहीं आते ,चलिए ,,तीन दिन ,सिर्फ तीन दिन ,कोई भी फिल्ड वर्कर ,जहां
खाना बन रहा है वहां के हालात जान लें ,किन हालातों में किसी आर्थिक
समस्याओं के बीच सीमित संसाधनों में व्यवस्थाएं हो रही है ,,खाना बन रहा है
,कैसे कफ्र्यूग्रस्त इलाक़ों में हिकमत से खाने के पैकेट जा रहे है ,हालात
जाने ,गलत हो तो ऊँगली उठाये ,,बेज़्ज़त करे ,लेकिन पहले भौतिक रूप से हालात
जाने ,खुद व्यव्हारिक रूप से ,एक क़दम आगे बढ़ा कर देखे ,सही है ,व्यवस्थाएं
खराब है ,सही है ,व्यवस्थाओं से लोग पीड़ित ,है सही है ,बीमारों की संख्या
बढ़ रही है ,,लेकिन हमारा फ़र्ज़ भी भौतिक रूप से फील्ड में जाने का बनता है
,यूं सोशल मीडिया पर लिखकर जागरूक करना अच्छी बात है। .लेकिन कलेक्टर तक
पहुंच कर उस समस्या को ब्योरेवार ,नामज़द ,मोहल्लेवार भी लिखकर देना ,वहां
समस्याओं के समाधान के लिए टीम के साथ पहल करना भी हमारी ज़िम्मेदारी है
,,पत्रकारों के दफ्तर में फोन करके ,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया ,,प्रिंट मिडिया
से भी इन क्षेत्रों में जहाँ की तकलीफों का फीड बेक हमे मिल रहा है ,उसका
सच , उनकी तकलीफे और प्रशासन की राहत कार्यों की व्यवस्थाएं ,सियासी
कार्यकर्ताओं ,,समाजसेवियों जो भी इस क्षेत्र में व्यवस्थाओं में लगे है ,,
निष्पक्ष रिपोर्टिंग के साथ ,उनका सच भी सामने लाने के लिए कहना चाहिए
,ज़िद करना चाहिए ,हर दिन नहीं तो कमसे कम तीन दिन में एक रिपोर्टिंग तो इस
क्षेत्र की गलियों ,इस क्षेत्र के निवासियों के साथ लाइव बनती है ,, जिनके
साथ अन्याय हो रहा ,,है उन्हें न्याय मिलना ही चाहिए ,, कोई बीमार है उसे
इलाज ,कोई ज़रूरतमंद है तो उसकी ज़रूरत पूरी होना ही चाहिए ,,,सियासत की
आलोचना भी होना चाहिए ,,,व्यवस्थाओं की भी आलोचना होना चाहिए ,लेकिन घर
बैठकर नहीं ,आलोचना सिर्फ आलोचना करने के लिए नहीं ,,मौके जा कर धरातल पर
भौतिक रिपोर्टिंग के साथ ,,कुछ कोशिशों के साथ ,,प्रशासन को लिखित में
शिकायत सुझाव के साथ ,सियासी लोगों को पीड़ित लोगों के विवरण के साथ ,,होना
चाहिए ,में शुक्रगुज़ार हूँ ,इस शहर ,इस शहर के जागरूक लोगों ,का ,जो लगातार
कोटा ,कोटावासियों के दर्द के लिए हमदर्द बाने है ,उनका हमदर्दाना रुख है
,आओ ,हम सब मिलकर इस दर्द को दूर करने की कोशिश करते है ,,,मिलते है ,एक
दूसरे को समझते है ,,,फिर गलत है तो गलत ,सही है तो सही ,,लिखते है ,, सच
है बहुत गलत है ,सच है बहुत तकलीफें है ,लेकिन अगर यह जो व्यवस्थाएं ,है यह
जो , जिन्हे हम सियासत कहकर ,इनके कामकाजों को रिजेक्ट करते ,है इनकी
सेवाये है ,,फिल्ड वर्कर है ,,समाजसेवक है ,,अगर यह भी न होते ,तो ज़रा सोचो
स्थिति और कितनी विकट होती ,,,,,कुछ नहीं होने से कुछ होना बेहतर है ,
लेकिन में आपके विचारों से सहमत हूँ ,, दर्द के इस माहौल में कुछ नहीं
,बहुत कुछ होना चाहिए ,और यह बहुत कुछ करने के लिए हमे ,आपको ,सब को
,समाजसेवकों को ,,फ़ील्डवर्करों को एक दूसरे का साथ चाहिए ,,पत्रकारों पर
सही रिपोर्टिंग का दबाव ,,जो लोग ज़रूरतमंद है ,उनकी ज़रूरतों की भौतिक
सत्यापन के बाद कोटा कलक्टर को लिखित रिपोर्ट ,,सेवादारों से उनके फोन पर
उन्हें मार्गदर्शन करना ,,ज़रूरी है ,,,,उम्मीद ,है हम और आप मिलजुलकर ,इस
बुरे वक़्त को ,, गुज़ार लेंगे ,इस घटाटोप अँधेरे को ,रोशन कर देंगे ,,,आप
मेरे जितने चाहें कान उमेठे ,लेकिन मेरे साथ भी आये ,,मेरे मतलब ,दर्द
मंदों के हमदर्दों के ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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