भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की राष्ट्रिय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी ने
,देश की अर्थव्यवस्था को इस संकट काल से जूझने के लिए पंचतंत्र के पंचशील
सकारात्मक ,रचनात्मक सुझाव दिए है , जो निश्चित तोर पर ,राष्ट्रिय संकट के
समय ,हमारे देश को इस खतरनाक आर्थिक संकट के दौर से उबारने के लिए आवश्यक
है ,परफेक्ट है ,,,,इन सुझावों में 3800 करोड़ प्रधानमंत्री रिलीफ फंड ,,के
सतर्क इस्तेमाल , विदेश यात्राओं पर रोक से 393 करोड़ की बचत , सांसदों
वगेरा की तीस प्रतिशत कटौती का मज़दूर किसानों के लिए इस्तेमाल ,,सरकारी
बिल्डिंग सोंदर्यकरण कंस्ट्रक्शन के 20 हज़ार करोड़ रूपये वापस लेकर ,,कोरोना
संकट से निपटने के लिए खर्च करने ,,और खास तोर पर अखबार ,टी वी चैनलों के
दो साल के विज्ञापनों पर होने वाले 1250 करोड़ रूपये ,,स्वास्थ्य और
कोरोना विज्ञापनों के अलावा रोक कर कोरोना जंग में लगाने के सुझाव है ,,,
सोनिया गाँधी के इन सुझावों पर अगर शत प्रतिशत अमल किया जाये तो ,हमारे देश
में कोरोना संकट के बाद अर्थव्यवस्था में जो अव्यवस्था होने वाली ,है
,,निश्चित तोर पर इन खर्च व्यवस्था से देश फिर सम्भल जाएगा ,देश और
देशवासियों की ज़िंदगी पटरी पर आ जायेगी ,लेकिन ,भारत के मुंह मांगी ,मनमानी
खबरों के चयनकर्ताओं ,प्रचारकों को यह सच्चाई राष्ट्रहित में क़तई मंज़ूर
नहीं ,,किसी भी चैनल ने ,, किसी भी अखबार ने संसद भवन होते हुए ,नए संसद
भवन के नाम पर वर्तमान स्थिति में नए संसद भवन ,अन्य निर्माण कार्यों पर
,,20 हज़ार करोड़ रूपये अनावश्यक खर्च रोक कर ,राष्ट्र आपात वैकल्पिक खर्चों
में लगाने को लेकर कोई प्रशंसा नहीं की है ,,कोई लाइव बहस अपने चैनलों पर
नहीं दिखाई है ,,अनावश्यक विदेश यात्राओं पर रोक से 393 करोड़ की बचत और
3800 करोड़प्रधानमंत्री रिलीफ फंड का व्यवस्थित ,रचनात्मक इस्तेमाल पर कोई
लाइव बहस नहीं दिखाई है ,क्योंकि रिमोट कंट्रोलर ने इन चेनल्स ,इन
खबरव्यवसाइयों को इसकी इजाज़त नहीं दी है ,देश को इस आर्थिक संकट से ,कोरोना
व्याधि , महामारी संकट से उबारने के लिए सभी को त्याग तो करना होगा
,,रचनात्मक कार्यवाही करना होगी ,,लेकिन अफ़सोस , सोनिया गांधी के इन
सकारात्मक सुझावों को निजी स्वार्थों के चलते ,कुछ कथित खबर व्यवसाइयों ने
विरोध के साथ रिजेक्ट कर दिया है ,,,निश्चित तोर पर अखबार हो या टी वी खबर
चेनल्स ,यह विज्ञापनों से ही चलते है ,,लेकिन सरकार की नैतिक ज़िम्मेदारी है
,के उनका विज्ञापन ,उनकी मदद ,,ऐसे अखबार ,ऐसे रिपोर्टर्स चैनल के यहां
जाए ,जो राष्ट्रिय चरित्र निर्माण की खबरें ,निष्पक्ष खबरे ,सामाजिक
सौहार्द की खबरें ,रचनात्मक सुझाव ,भूख ,गरीबी ,रोज़गार की खबरों पर फोकस
करता हो ,,लेकिन हमारे देश में आप और हम देख रहे ,है पढ़ रहे ,है ऐसा कुछ
प्रतिशत ही है , कुछ अखबार वाले ज़िंदा है ,,कुछ खबरनवीस इलेक्ट्रॉनिक
चेनल्स के पत्रकार भी अपना राष्ट्रिय धर्म निभा रहे है ,,लेकिन बाक़ी ,काऊं
,काऊँ , भों ,भों ,,हिन्दू ,मुस्लिम , नफरत ,,के सिवा क्या दिखा रहे है
,उन्हें भूख से मतलब ,नहीं उन्हें रोटी से मतलब नहीं ,वोह केंद्र सरकार और
कई दूसरी सरकारों की आम जनता के प्रति जवाब दारी ,ज़िम्मेदारी ,,चुनावी
घोषणापत्र की दग़ाबाज़ी पर कोई खबर नहीं बनाते ,,देश या राज्यों के मुख्या से
सवाल नहीं पूंछते ,क्या करते है ,पूरा देश ,पूरा विश्व देखता है ,,ऐसा यह
लोग क्यों करते है ,किस लालच में करते है ,,,देश जानता है ,,,पत्रकार रविश
कुमार इनकी पोल खोलते रहे है ,,चेनल्स की रिपोर्टिंग ,बहस ,और मुद्दों को
भटकाने की साज़िशें साफ़ सामने है ,, द वायर ,, कोबरा पोस्ट ने तो स्टिंग
ऑपरेशन में ऐसे खबरचियों के मुंह पर ,कालिख ही पोत डाली ,थी किस को चलाने
,किस नेता का मानमर्दन करने ,,किस नेता को प्रोजेक्ट करने ,उसकी मर्यादाएं
गिराने ,मुद्दे भटकाने के लिए साम्प्रदायिक खबरों को प्राथमिकता की
सौदेबाज़ी की पोल खोल कर रख दी है ,,,खुद एक चैनल पत्रकार ने इस मामले में
खबरों के चयन को लेकर टी आर पी बढाने की मजबूरी ,,और सी ई ओ के खबर चयन
प्रबंधन निर्देशों का हवाला दिया है ,,दर्शक ,पाठक खुद जानता ,है ,, कोनसी
खबरें दिखाई जा रही ,है ,, कोनसी खबरें छुपाई जा रही है ,,ऐसे में जब
चेनल्स ,कुछ अख़बारों में ,,नेशनलिज़्म फॉर जर्नलिज़्म नहीं है ,तो देश को
भटकने के लिए सरकार अपने विज्ञापन उन्हें देकर क्यों हिस्सेदार बने ,,देश
जानता है ,राज्य जानते ,है पत्रकार जानते है ,पत्रकार मालिक ,चेनल्स जानते
,है ,आज का जो पत्रकारिता साम्राज्य है ,वोह सब कांग्रेस की सुविधाओं ,
कांग्रेस के विज्ञापनों ,,मान्यताओं , कार्ययोजनाओं ,सुविधाओं ,प्रोटेक्शन
का ही नतीजा है ,जो आज पत्रकारिता है ,लेकिन कांग्रेस ने या देश कल्पना
भी नहीं की थी के ,यह पत्रकार एक साथ अपने कर्तव्यों से विमुख होकर ,खुद भी
भटकेंगे और देश को भी भटकायेंगे ,,कांग्रेस ने पत्रकारों को रियायती दर पर
भूखंड दिए ,राशनिंग कागज़ी व्यस्था दी ,,कामकाजी पत्रकारों को एकक्रिडेशन
की ,सुविधा पेंशन सुविधा , लेबटॉप सुविधा ,बीमा योजना ,खुद पत्रकारों
रियायती से भी रियायती दर पर रहने के लिए भूखंड ,मकान दिये ,मुफ्त ,बस ,रेल
,हवाई यात्राओं की सुविधा ,,दी ,छोटे मंझोले समाचार पत्र बंद न हो इसके
लिए न्यूनतम विज्ञापन व्यवस्था फिक्स की ,हर अख़बार को व्यवस्थित सुविधाएं
दी ,,सम्मान दिया ,,सुरक्षा दी ,,,,खेर यह कोई अहसान नहीं स्वच्छ
,निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए पत्रकारों का यह अधिकार भी था ,लेकिन आज जो
दौर बदला है ,रिपोर्टिंग स्टाइल व्यापारिक हो गयी है ,मनमानी हो गयी है
,निष्पक्षता खत्म हो गयी है ,कई पत्रकार ,कुछ एक सालों में ही ज़ीरो से हीरो
,हीरो से उद्योगपति बन गए है ,,अख़बार हो या चेनल्स उद्योपति की तरह
व्यवहार कर रहे है ,,स्टिंग कर्मचारियों ,पर गाज गिर रही है ,रिपोर्टर्स
हटाए जा रहे है ,प्रिंट मीडिया के कर्मचारियों को सुप्रीमकोर्ट के आदेशों
के बावजूद भी उनका हक़ नहीं दिया जा रहा है ,,न्यूज़ एजेंसी के नाम पर
स्टिंग जर्नलिज़्म के नाम पर ,,कामकाजी पत्रकारों पर ज़ुल्म ,ज़्यादती है
,इसके बावजूद भी ,,,इस कोरोना संकट की घडी में दैनिक भास्कर या एक दो
मीडिया को छोड़ दिया जाए तो किसी ने भी कोई भी मदद ,व्यक्तिगत तोर पर या
फिर सरकारों को रिलीफ फंड में नहीं दी है ,,जबकि एक चतुर्थ श्रेणी
कर्मचारी तक के वेतन में कटौती हुई है , गरीब लोगों ने भी भामाशाहों के साथ
सेवा में हाथ बढ़ा दिए है ,,ऐसे में ,सोनिया गांधी ने ,नियमित विज्ञापन जो
टेंडर ,निविदाएं ,है ,, कोविड 19 और स्वास्थ्यय संबंद्धित प्रचार प्रसार
मामले है ,उनके विज्ञापनों को रोकने के लिए नहीं कहा ,है अनावश्यक सजावटी
विज्ञापन , अनावश्यक रिश्वती विज्ञापन अगर कुछ टाइम रुक भी गए तो क्या
फ़र्क़ पढ़ता ,है , बल्कि चेनल्स में खबरों , प्रिंट खबरों की भी गाइड लाइन
,एड्वाज़री ज़रूरी होना चाहिए,, जो चैनल ,जो अख़बार भूख ,,गरीबी ,रोज़गार
,सामाजिक सौहार्द की रचनात्मक खबरें दे ,विज्ञापनों की प्रार्थमिकता भी
उनके लिए ही होना चाहिए ,,,,,,प्राइवेट विज्ञापन है ,,फिर भी अगर चेनल्स
,,प्रिंट मीडिया को अन्य आवश्यक विज्ञापन यथावत चालू रहने के दौरान भी
सजावटी विज्ञापनों की ज़रूरत है ,तो इसके लिए एक सर्वदलीय कमेटी हो ,जो ऐसे
चेनल्स ,ऐसे अख़बारों का चयन करें ,जो राष्ट्रिय एकता ,सर्वदलीय ,,सामजिक
सौहार्द ,साम्प्रदायिक सौहार्द ,राष्ट्रिय चरित्र निर्माण , राष्ट्रिय
विकास ,भूख , गरीबी ,रोज़गार ,सही कई रचनात्मक मुद्दों की खबरें ,,लाइव बहस
निष्पक्ष दिखाता हो ,उसे निश्चित तोर पर ,विज्ञापनों की मदद ,सजावटी
विज्ञापनों की मदद मिलना चाहिए ,क्योंकि ऐसे लोगों को अंडर दी टेबल तो कुछ
मिलेगा नहीं और ऐसे पत्रकारों ,ऐसे अख़बारों ,ऐसे चेनल्स को ज़िंदा रखने की
ज़िम्मेदारी भी ,,सरकार की होना ही चाहिए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान
अकेला कोटा
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