एक नूर जो अहमद भी है ,पठान भी है ,,यह नूर ,पत्रकार भी है ,क़लमकार भी ,है
,राब्ता भी है ,और एक तहरीक भी है ,,, जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ
कोटा के समाजसेवक भाई नूर अहमद पठान की ,,जो दो दशक से भी अधिक समय से
,अपना अख़बार ,राब्ता तहरीक ,,के लगातार सामाजिक सरोकार की खबरों के साथ
,,आपके ,हमारे साथ जुड़े है ,,,राब्ता तहरीक ,,कहने को तो एक समाचार पत्र
है ,लेकिन इस अख़बार में खबरों के अलावा एक विशेष कॉलम ,एक दूसरे से
रिश्तों में राब्ते को क़ायम करने की ज़रूरत को लेकर नियमित प्रकाशित किया
जाता है ,जिसमे रिश्तों की एक दूसरे के बारे में जानकारी देकर बिना किसी
विज्ञापन ,बिना किसी ज़रूरत के सिर्फ सेवाभाव की बात होती है ,नूर पठान
,इल्म के जानकार भी है ,वोह अख़बार लिखने के अलावा कई समाजसेवी संस्थाओं के
साथ जुड़कर ,,शोषित ,उत्पीड़ित लोगों के लिए संघर्ष भी करते नज़र आते है
,,,लोगों में सामाजिक न्याय की अलख जगाकर ,कुरीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाने
वाले भाई नूर पठान अपनी लेखनी के ज़रिये ,गरीब ,मध्यमवर्गीय ,शोषित
,उत्पीड़ित ,,पिछड़े वर्गों में साक्षरता ,स्वरोजगार की अलख भी जगा रहे ,है
भाई नूर पठान कोटा प्रेस क्लब सहित कई पत्रकार संस्थाओं ,साहित्यिक
संस्थाओं के सक्रिय सदस्य भी है ,,कर्फ्यू से कर्फ्यू तक सेवाभाव का इनका
सफर ,बहुत अजीब ,है ,,नूर पठान की सोच है के शासन को निष्पक्ष ,दूर अंदेशी
,,इन्साफपरस्त होना ज़रूरी है ,,,उन्होंने नफरत के माहौल में ,फसादात की जंग
में ,,कर्फ्यू के हालातों में हिंसा ,आगजनी ,मुआवज़ा ,मुक़दमेबाज़ी ,इंसाफ
परस्ती ,समाजसेवी संस्थाओं की निष्पक्षता ,जांच आयोग के सभी कार्यक्रम
नज़दीक से देखे ,और जाना शासन की कमज़ोरी या फिर हालात बिगाड़ने वालों को
जानबूझकर छूट देने से हालत बिगड़े ,,वोह मानते ,है अगर कोई भी गलत आवाज़ ,देश
को तोड़ने वाली आवाज़ ,नफरत फैलाने वाली आवाज़ उठते ही ,क़ानून के डंडे से
कुचल दी जाए ,ऐसे लोगों को सियासी फायदे की जोड़तोड़ से अलग कर ,उन्हें सज़ा
दे दी ,जाए तो फिर यह देश ,मोहब्बत सिर्फ मोहब्बत का पैगाम देने वाला एक
बेहतरीन मुल्क होगा ,आज फिर कर्फ्यू के हालातों में उनका वही दर्द है
,,सीमाओं पर अगर कोरोना की आहट थी ,,अंतर्राष्ट्रीय एलर्ट था ,तो हमे सबसे
पहले ,सीमाओं पर आने वाली हर फ्लाइट की सवारियों की जांच ,निगरानी ज़रूरी
होना चाहिए थी ,बस शासन की यही चूक ,हमे आज दुःख तकलीफ में डाले हुए है
,,हमे अभी भी राष्ट्रव्यापी व्यवस्थाओं के तहत ,,कागज़ पर , मीडिया के
चैनलों की खबरें ,बहसबाज़ी से अलग हटकर ,रचनात्मक कार्य करना ज़रूरी हो गया
,है जो कई राज्यों में ,कोटा सहित भीलवाड़ा और कई शहरों में हो भी रहा है
,सब एक दूसरे के मददगार बने है ,, सभी समाजसेवकों को इस संकट की घडी में
,सिर्फ भारतीयता पर ध्यान देकर काम करना होगा ,यही उनके सुझाव ,है ,,नूर
पठान का सामाजिक मनोविज्ञान यही ,है वोह चाहते के हिंदुस्तान ,भारत एक
तहरीक बने ,,और हमारा सभी लोगों का ,सभी धर्म ,मज़हब से जुड़े अमीर गरीब
लोगों का एक दूसरे से सुख दुःख में राबता हो ,, सभी एक दूसरे के सुख दुःख
के साथी हों ,,अगर यह सब हुआ तो राष्ट्रिय एकता भी ,होगी सुकून ,शांति भी
रहेगी ,,खुशहाली भी रहेगी ,,लोगों में एक दूसरे से मोहब्बत का जज़्बा होने
से ,व्यापारिक ,औद्योगिक ,विशेष कार्यक्रमों के विशिष्ठ अनुसंधान की
दृष्टि से देश अव्वल भी रहेगा ,,इसी सोच , इसी मनोविज्ञान ,इसी दर्शन
शास्त्र के चलते ,नूर पठान ने अपने साथियों के ,साथ ,राब्ता तहरीक सोसायटी
का गठन किया ,जिसने बाद में इस उद्देश्य के प्रचार के लिए अखबार की शक्ल
इख़्तियार की ,,नूर पठान ने अपने इस उद्देश्य के लिए सभी संस्थाओं से
सम्पर्क साधा ,उन्होंने खासकर ,रज्जु भैया सुदर्शन सर , इंद्रश कुमार सहित
संघ के शीर्ष नेतृत्व से भी सम्पर्क साध कर ,राष्ट्र निर्माण को लेकर अपने
विचारों से अवगत कराया ,,नूर पठान को इनके विचारों इनके सुझावों को जगह
देने के लिए ,,,राष्ट्रिय महिला आयोग में सलाहकार मंडल के प्रमुख सदस्य के
रूप में भी नियुक्त किया गया जहाँ आयोजित ,सुझाव बैठकों में आज भी इनके
सकारात्मक विचार कारगर साबित हो रहे है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान
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