बिजली कड़क रही है,,
बादल गरज रहे हैं,
सूरज बादलों की ओट में
छुपा आराम से है ,
दिन में रात जैसा अंधेरा है ,
मेरे गुनाहों की
यही अक्कासी है, अगर
ऐ खुदा तेज़ बारिश में धो दे ,
मेरे ,इस दुनिया के सारे गुनाह , फिर से कर दे
वही खुशनुमा सुबह ,
चहकता , महकता माहौल ,
ऐ मेरे खुदा , ऐ मेरे खुदा, अख्तर
बादल गरज रहे हैं,
सूरज बादलों की ओट में
छुपा आराम से है ,
दिन में रात जैसा अंधेरा है ,
मेरे गुनाहों की
यही अक्कासी है, अगर
ऐ खुदा तेज़ बारिश में धो दे ,
मेरे ,इस दुनिया के सारे गुनाह , फिर से कर दे
वही खुशनुमा सुबह ,
चहकता , महकता माहौल ,
ऐ मेरे खुदा , ऐ मेरे खुदा, अख्तर
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