तू नाराज तो है अपने इंसान से भगवान
नहीं तो मंदिरों के दरवाजे बंद नहीं करता,
सजा दे रहा है कुदरत से खिलवाड़ की
नहीं तो गुरुद्वारों से लंगर कभी ना उठता
आज उन बारिश की बूंदों से संदेश मिला
रोता तो तू भी है जब इंसान आंसू बहाता है
माफ कर दे अपने बच्चों के हर गुनाह
सब कहते हैं तेरी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता
नहीं तो मंदिरों के दरवाजे बंद नहीं करता,
सजा दे रहा है कुदरत से खिलवाड़ की
नहीं तो गुरुद्वारों से लंगर कभी ना उठता
आज उन बारिश की बूंदों से संदेश मिला
रोता तो तू भी है जब इंसान आंसू बहाता है
माफ कर दे अपने बच्चों के हर गुनाह
सब कहते हैं तेरी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता
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