﴾ 61 ﴿ (हे नबी!) आप जिस दशा में हों और क़ुर्आन में से, जो कुछ भी सुनाते हों तथा (हे मनुष्यो!) तुम लोग भी कोई कर्म नहीं करते हो, परन्तु हम तुम्हें देखते रहते हैं, जब तुम उसे करते हो और (हे नबी!)
आपके पालनहार से धरती में कण-भर भी कोई चीज़ छुपी नहीं रहती और न आकाश
में, न इससे कोई छोटी न बड़ी, परन्तु वह खुली पुस्तक में अंकित है।
﴾ 62 ﴿ सुनो! जो अल्लाह के मित्र हैं, न उन्हें कोई भय होगा और न वे उदासीन होंगे।
﴾ 63 ﴿ जो ईमान लाये तथा अल्लाह से डरते रहे।
﴾ 64 ﴿ उन्हीं के लिए सांसारिक जीवन में, शुभ सूचना है तथा प्रलोक में भी। अल्लाह की बातों में कोई परिवर्तन नहीं, यही बड़ी सफलता है।
﴾ 65 ﴿ तथा (हे नबी!) आपको उन (काफ़िरों) की बात उदासीन न करे। वास्तव में, सभी प्रभुत्व अल्लाह ही के लिए है और वह सब कुछ सुनने जानने-वाला है।
﴾ 66 ﴿ सुनो! वास्तव में, अल्लाह ही के अधिकार में है, जो आकाशों तथा धरती में है और जो अल्लाह के सिवा दूसरे साझियों को पुकारते हैं, वे केवल अनुमान के पीछे लगे हुए हैं और वे केवल आँकलन कर रहे हैं।
﴾ 67 ﴿ वही है, जिसने तुम्हारे लिए रात बनाई है, ताकि उसमें सुख पाओ और दिन बनाया ताकि उसके प्रकाश में देखो। निःसंदेह इसमें (अल्लाह के व्यवस्थापक होने की) उनके लिए बड़ी निशानियाँ हैं, जो (सत्य को) सुनते हों।
﴾ 68 ﴿ और उन्होंने कह दिया कि अल्लाह ने कोई पुत्र बना लिया है। वह पवित्र है। वह निस्पृह है। वही स्वामी है उसका, जो अकाशों में तथा धरती में है। क्या तुम्हारे पास इसका कोई प्रमाण है? क्या तुम अल्लाह पर ऐसी बात कह रहे हो, जिसका तुम ज्ञान नहीं रखते?
﴾ 69 ﴿ (हे नबी!) आप कह दें: जो अल्लाह पर मिथ्या बातें बनाते हैं, वह सफल नहीं होंगे।
﴾ 70 ﴿ उनके लिए संसार ही का कुछ आनंद है, फिर हमारी ओर ही आना है। फिर हम उन्हें, उनके कुफ़्र (अविश्वास) करते रहने के कारण घोर यातना चखायेंगे।
﴾ 62 ﴿ सुनो! जो अल्लाह के मित्र हैं, न उन्हें कोई भय होगा और न वे उदासीन होंगे।
﴾ 63 ﴿ जो ईमान लाये तथा अल्लाह से डरते रहे।
﴾ 64 ﴿ उन्हीं के लिए सांसारिक जीवन में, शुभ सूचना है तथा प्रलोक में भी। अल्लाह की बातों में कोई परिवर्तन नहीं, यही बड़ी सफलता है।
﴾ 65 ﴿ तथा (हे नबी!) आपको उन (काफ़िरों) की बात उदासीन न करे। वास्तव में, सभी प्रभुत्व अल्लाह ही के लिए है और वह सब कुछ सुनने जानने-वाला है।
﴾ 66 ﴿ सुनो! वास्तव में, अल्लाह ही के अधिकार में है, जो आकाशों तथा धरती में है और जो अल्लाह के सिवा दूसरे साझियों को पुकारते हैं, वे केवल अनुमान के पीछे लगे हुए हैं और वे केवल आँकलन कर रहे हैं।
﴾ 67 ﴿ वही है, जिसने तुम्हारे लिए रात बनाई है, ताकि उसमें सुख पाओ और दिन बनाया ताकि उसके प्रकाश में देखो। निःसंदेह इसमें (अल्लाह के व्यवस्थापक होने की) उनके लिए बड़ी निशानियाँ हैं, जो (सत्य को) सुनते हों।
﴾ 68 ﴿ और उन्होंने कह दिया कि अल्लाह ने कोई पुत्र बना लिया है। वह पवित्र है। वह निस्पृह है। वही स्वामी है उसका, जो अकाशों में तथा धरती में है। क्या तुम्हारे पास इसका कोई प्रमाण है? क्या तुम अल्लाह पर ऐसी बात कह रहे हो, जिसका तुम ज्ञान नहीं रखते?
﴾ 69 ﴿ (हे नबी!) आप कह दें: जो अल्लाह पर मिथ्या बातें बनाते हैं, वह सफल नहीं होंगे।
﴾ 70 ﴿ उनके लिए संसार ही का कुछ आनंद है, फिर हमारी ओर ही आना है। फिर हम उन्हें, उनके कुफ़्र (अविश्वास) करते रहने के कारण घोर यातना चखायेंगे।
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