अख्तर खान अकेला , जी अकेला उनका तखल्लुस है। अल्लाह के फज्लो करम से वो
अकेले नहीं है बीबी, बच्चे , पूरा हँसता खेलता परिवार है ,उनके साथ। पेशे
से वो वकील जरूर है और अपने पेशे से पूरी
ईमानदारी बरत कर अपने मुवक्किल को उसका हक़ दिलाने के लिए जी जान से जुट
जाते है। पेशे से अलग उनका मासूमियत भरा लहजा, उसमे भी नर्म दिली यह अहसास
कराती है, यह शख्स पेशे से अलग इंसानी रिश्तो को कितनी अहमियत देता है।
उन्होंने पिछले दिनों से एक कोशिश जारी रखी है, कैसे अपने इर्द गिर्द मौजूद
लोगो की अच्छाइयां सोशल मिडिया के जरिये अवाम के सामने ले जाये। मैं उनकी
इस कोशिश को दिल से सलाम करता हूँ । यह सब लिख पाना तब ही मुमकिन है , जब
आप अच्छा सोचते है, अच्छा देखते है , लोगो में अच्छाई तलाश करते है। अच्छाई
और सच की तलाश ने उनके सफर को लोगो की दिलचस्पी का हिस्सा बना दिया। किसी
के बारे में कौन क्या सोचता है , क्या देखता है , यह सबकी अपनी अपनी सोच
है। पर अकेला ने जी हाँ यहाँ मैं उनका पूरा नाम नहीं लूंगा, क्योंकि शहर
में उनकी अकेले की कोशिश ने लोगो को अहसास कराया है, जब उनमे इतनी अच्छाई
मौजूद है तो फिर क्यों न अच्छा किया जाये
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)