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31 जनवरी 2020

इस में आदम (अलैहिस्सलाम) को शैतान के धोखा देने का वर्णन किया गया है

सूरह आराफ के संक्षिप्त विषय

यह सूरह मक्की है, इस में 206 आयतें हैं।
  • इस में “आराफ़” की चर्चा है इस लिये इस का नाम सूरह आराफ़ है।
  • इस में अल्लाह के भेजे हुये नबी का अनुसरण करने पर बल दिया गया है, जिस में डराने तथा सावधान करने की भाषा अपनाई गई है।
  • इस में आदम (अलैहिस्सलाम) को शैतान के धोखा देने का वर्णन किया गया है ताकि मनुष्य उस से सावधान रहे। इस में यह बताया गया है कि अगले नबियों की जातियाँ नबियों के विरोध का दुष्परिणाम देख चुकी है, फिर अहले किताब को संबोधित किया गया है और एक जगह पूरे संसार वासियों को संबोधित किया गया है।
  • इस में बताया गया है कि सभी नबियों ने एक अल्लाह की वंदना की, और उसी की ओर बुलाया और सब का मूल धर्म एक है।
  • इस में यह भी बताया गया है कि ईमान लाने के पश्चात् निफ़ाक़ (द्विधा) का क्या दुष्परिणाम होता है और वचन तोड़ने का अन्त क्या होता है।
  • सूरह के अन्त में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आप के साथियों को उपदेश देने के कुछ गुण बताये गये हैं और विरोधियों की बातों को सहन करने तथा उत्तोजित हो कर ऐसा कार्य करने से रोका गया है जो इस्लाम के लिये हानिकारक हो।

अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।
1 ﴿ अलिफ़, लाम, मीम, साद।
2 ﴿ ये पुस्तक है, जो आपकी ओर उतारी गयी है। अतः (हे नबी!) आपके मन में इससे कोई संकोच न हो, ताकि आप इसके द्वारा सावधान करें[1] और ईमान वालों के लिए उपदेश है।
1. अर्थात अल्लाह के इन्कार और उस के दुष्परिणाम से।
3 ﴿ (हे लोगो!) जो तुम्हारे पालनहार की ओर से तुमपर उतारा गया है, उसपर चलो और उसके सिवा दूसरे सहायकों के पीछे न चलो। तुम बहुत थोड़ी शिक्षा लेते हो।
4 ﴿ तथा बहुत सी बस्तियाँ हैं, जिन्हें हमने ध्वस्त कर दिया है, उनपर हमारा प्रकोप अकस्मात रात्रि में आया या जब वे दोपहर के समय आराम कर रहे थे।
5 ﴿ और जब उनपर हमारा प्रकोप आ पड़ा, तो उनकी पुकार यही थी कि वास्तव में हम ही अत्याचारी[1] थे।
1. अर्थात अपनी हठधर्मी को उस समय स्वीकार किया।
6 ﴿ तो हम उनसे अवश्य प्रश्न करेंगे, जिनके पास रसूलों को भेजा गया तथा रसूलों से भी अवश्य[1] प्रश्न करेंगे।
1. अर्थात प्रयल के दिन उन समुदायों से प्रश्न किया जायेगा कि तुम्हारे पास रसूल आये या नहीं? वह उत्तर देंगेः आये थे। परन्तु हम ही अत्याचारी थे। हम ने उन की एक न सुनी। फिर रसूलों से प्रश्न किया जायेगा कि उन्हों ने अल्लाह का संदेश पहुँचाया या नहीं? तो वह कहेंगेः अवश्य हम ने तेरा संदेश पहुँचा दिया।
7 ﴿ फिर हम अपने ज्ञान से उनके समक्ष वास्तविक्ता का वर्णन कर देंगे तथा हम अनुपस्थित नहीं थे।
8 ﴿ तथा उस (प्रलय के) दिन (कर्मों की) तोल न्याय के साथ होगी। फिर जिसके पलड़े भारी होंगे, वही सफल होंगे।
9 ﴿ और जिनके पलड़े हलके होंगे, वही स्वयं को क्षति में डाल लिए होंगे। क्योंकि वे हमारी आयतों के साथ अत्याचार करते[1] रहे।
1. भावार्थ यह है कि यह अल्लाह का नियम है कि प्रत्येक व्यक्ति तथा समुदाय को उन के कर्मानुसार फल मिलेगा। और कर्मों की तौल के लिये अल्लाह ने नाप निर्धारित कर दी है।
10 ﴿ तथ हमने तुम्हें धरती में अधिकार दिया और उसमें तुम्हारे लिए जीवन के संसाधन बनाये। तुम थोड़े ही कृतज्ञ होते हो।

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