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04 दिसंबर 2019

युधिष्ठिर महाभारत में भी ईमानदार थे , ओर आज के कलियुग में भी ईमानदार है

युधिष्ठिर महाभारत में भी ईमानदार थे , ओर आज के कलियुग में भी ईमानदार है , यह सच साबित कर दिखाया है , कोटा के भाई , युधिष्ठिर चांदसी ने , युधिष्ठिर ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शॉपिंग सेंटर , शाखा में , अपने खाते , से पन्द्रह हज़ार रुपये निकलवाने के लिए चेक भरकर दिया ,, कैशियर ने पन्द्रह हज़ार के मुगालते में , तीस हजार रुपये गिनकर दिये , युधिष्ठिर ने उक्त नोट की गड्डी बिना गिना जेब मे रख ली ,, घर आकर जब उन्हें पता चला , नॉट गिने , तब पन्द्रह हज़ार की जगह उन्हें कैशियर ने तीस हजार रुपये दिए यह सच उन्हें पता चला , युधिष्ठिर ने अपने साथी पत्रकार पर्यावरण विद ब्रजेश विजय वर्गीय , से गिनवाए ओर फिर बैंक वापस लौटे , केशियर को फिर गिनने के लिए रुपये दिए , कैशियर ने पूरे तीस हजार रुपये मशीन से गिने और वापस लौट दिये , युधिष्ठिर , बृजेश जी ने कैशियर से चेक में भरी राशि कन्फर्म करने को कहा , चेक पर पन्द्रह हज़ार की राशि भरी थी और कैशियर ने तीस हजार दे दिए , खुद युधिष्ठिर इस राशि को लौटाने आये , कैशियर ने ठंडी सांस ली और सोचा ईमानदारी अभी ज़िंदा है , युधिष्ठिर आज भी ईमानदार है , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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