ऐ मेरे दोस्तों ,ऐ मेरे दुश्मनो ,, ऐ मेरे प्रशंसक भाइयों ,ऐ मेरे खामा खां
मुझ से नाराज़ मेरे भाइयों ,,एक बात सुनिए ,क्या हमारे मज़हब ,आपके मज़हब में
अल्लाह ,ईश्वर की मर्ज़ी के बगैर पत्ता भी हिल सकता है ,क्या अल्लाह के
घरों को ,भगवान के घरों को आपकी हिफाज़त की ज़रूरत है ,क्या आप इन के घरों को
बनाएंगे ,क्या आप इनके घरो की हिफाज़त करेंगे ,,कहते है ,जो अल्लाह , जो
ईश्वर करता है ,बेहतर करता है ,फिर तुम क्यों लकीर के फ़क़ीर बने हो ,तुम
हिन्दू हो तो हिन्दू होकर बताओ ,पाखंडी मत बनो ,,ईश्वर के निर्देश आदेश खुद
देने वाले मत बनो ,जो काम ऊपर वाली की ताक़त से हो रहा है ,उसका श्रेय
तुम मत लो, फ़िज़ाओं में ज़हर मत घोलो ,,किस बात का शौर्य ,किस बात की ताक़त
,अरे तुमने अगर किसी बच्ची की इज़्ज़त अस्मत बचाई हो ,,रोते हुए को हंसाया
हो ,भूखे को रोटी ,नंगे को कपड़ा दिया हो ,बेरोज़गार को रोज़गार दिया हो तो
हाँ हम भी कहेंगे तुमने शौर्य का काम किया है ,हिम्मत का काम किया है
,तुम्हारे इस शौर्य दिवस पर हम भी शामिल होंगे ,विदेशी ताक़तों से मिलकर
तुम हमारे देश के भाईचारे को यूँ मत बिगाड़ो यार ,,फिर अब तुम्हारे सर
परस्त सुप्रीमकोर्ट के सेवानिवृत्त साहिब बने हुए है ,अब तो समझो यार
मोहब्बत ,प्यार ,भाईचारे से बढ़कर कोई जीत नहीं ,,इसी को क़ायम करना
,इंसानियत के पैरोकार होना शौर्य का काम है , और तुम खुद कहते हो जो करता
है ,अल्लाह करता है ,, अल्लाह लोगों के दिलों के भेद को जानता है ,
जहाँ शर हो वहां नमाज़ नहीं होती ,अल्लाह अपने घर को खुद आबाद करता है
,अल्लाह जिससे चाहता है जो काम ले लेता है ,फिर किस बात का शोक दिवस
,अल्लाह बहतर जानता है ,अगर कोई गुनाह हुआ है ,कोई गुनाहगार है ,, तो
अल्लाह उसे सज़ा देगा ,अभी देगा ,नहीं तो हश्र के दिन उसका क्या हाल होगा
तुम और हम सभी जानते है ,फिर क्यों शोकदिवस के नाम पर अपनी किरकिरी करते
हो ,,अल्लाह बेहतर जानता है ,अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है ,क्या यह
आपको आपका इस्लाम नहीं सिखाता ,,तुम करोगे अल्लाह के घर की हिफाज़त
,,तुम्हारे अपने घरों की हिफाज़त भी तुम नहीं कर सकते तो फिर अल्लाह के
घर की हिफाज़त की बात तुम क्यों करते हो ,अल्लाह बहतर जानता है ,,,अल्लाह
इंसाफ करता है ,अल्लाह ढील भी देता है ,सज़ा भी देता है ,जो उम्मीद करो
अल्लाह से करो ,,फिर किस बात का शोक दिवस सिर्फ माहौल बिगाड़ना ,सिर्फ
सियासत करना ,सिर्फ खुद का नाम अख़बार मिडिया में छपवाना ,,अल्लाह सब ठीक
करेगा ,भरोसा करो अल्लाह पर ,अल्लाह हुकूमतों का ,तुम्हारा राज़ जानता है
,तुम जितनी ताक़त सियासत में शरारतों की करते हो ,खुद को ,अख़बार टी वी पर
लाइम लाइट पर लाने की कोशिशें करते हो ,,उससे आधी ताक़त भी तुम तुम्हारी
इबादतों ,तुम्हारे अपने भाइयों की खिदमत ,रोज़गार ,शिक्षा , तरक़्क़ी के लिए
लगा दो तो इंशा अल्लाह , इंशा अल्लाह हमारे 72 लोगों का क़बीला भी
अबाबीलों की ताक़त से सुरखुरु होकर रहेगा ,भरोसा तो करो ,इन्तिज़ार तो करो
,तो भाइयों छोडो नफरत ,छोडो मंदिर ,मस्जिद की सियासत ,बस ,एक दूसरे को गले
लगाओ , मोहब्बत की बात करो ,प्यार की बात करो ,तरक़्क़ी की बात करो ,,दिल से
इबादत करो ,तुम्हारी इबादत के लिए एयरकंडीशन लगी मस्जिदें ,,करोडो करोड़
रूपये के गहने से सजे मंदिर मोहताज नहीं ,तुम अपनी इबादत घरों पर भी करो ,
अल्लाह ,ईश्वर के बताये हुए रास्ते ,यानी इंसानियत ,अहिंसा ,प्यार मोहब्बत
के रास्ते पर भी करके चलो ,,घर के एक कोने में भी तुम पूजा कर सकते हो
,तुम नमाज़ पढ़ सकते हो ,फिर क्यों शरारतों का हिस्सा बनते हो ,अल्लाह से दुआ
करो , इन्ना लिल्लाहे माँ अस्साबेरीन पढ़ो ,, तुम सिर्फ अपनी पूजा
अर्चना ,अपनी इबादत की हिस्सेदारी ,पाकीज़गी की हिफाज़त करो ,यह खुदा के घर
है ,यहाँ करोडो करोड़ के गहने रखकर ,पांच रूपये का ताला लगाकर ,अपने भरोसे
को कमज़ोर मत करो ,बाहर दरवाज़े पर इबादत घरों की हिफाज़त ताले लगाकर यह
साबित मत करो के ताले इनकी हिफ़ाज़त कर रहे है ,तो जनाब छोडो यह मंदिर
मस्जिद के झगड़े ,छोड़ो यह हिन्दू मुस्लिम के ,झगड़े ,आओ गले लगो ,गले लगाओ
,गंगा जमुनी तहज़ीब संस्कृति को आगे बढ़ाओ ,जो लोग इस नाम पर चर्चेबाज़ी
करते है ,चंदेबाज़ी करते है , उन्हें कुरानशरीफ ज़रूर पढ़वाइए ,उन्हें गीता का
ज्ञान ज़रूर दीजिये ,,बस खुद के साथ खुद की इबादत के साथ , ईश्वरीय ताक़त
,अल्लाह की ताक़त पर अपने भरोसे के साथ इन्साफ कीजिये ,,अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान

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