भारत का अपना क़ानून ,अपना संविधान है ,यहाँ परिवार में किसी भी व्यक्ति के
मृत्यु के कारणों की जांच और उस जाँच रिपोर्ट देखने का अधिकार हर परिजन को
है ,,आज सुचना के अधिकार अधिनियम का बोलबाला है ,,पारदर्शिता का ढिंढोरा है
,लेकिन ,कोटा पुलिस हिरासत में ,पुलिस पिटाई के बाद ,26 अप्रेल 2019 को,
मोहम्मद रमज़ान की ,संदिग्ध मोत होने पर ,,छह माह के लगभग समय हो जाने के
बावजूद भी उसके परिजन ,पुत्र ,,मोहम्मद रमज़ान की मोत के कारणों की जांच
रिपोर्ट ,, मेडिकल रिपोर्ट ,,पोस्टमार्टम रिपोर्ट ,देखने तक को तरस रहे है
,,मृतक मोहम्मद रमजान के पुत्र मोहम्मद रिज़वान ने अपने इस अधिकार को हांसिल
करने के लिए ,दर दर ठोकरें खाकर सभी विकल्पों में असफल होने के बाद
,,मायूस होकर ,, अब राजस्थान के मुख्य न्यायधीश का दरवाज़ा खटखटाया है
,,,मोहम्मद रमज़ान मांगरोल बारां के एक मामले में सज़ायाफ्ता मुल्ज़िम था
,,इसी दौरान इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुआ ,,लेकिन पुलिस ने उसके साथ
मारपिटाई की ,,मोहम्मद रमज़ान के शरीर पर कई गंभीर छोटे थे ,,तबियत ज़्यादा
बिगड़ जाने के बाद जयपुर एस एम एस चिकित्सालय में ,टी वी अखबार वालों को
अपनी पिटाई के बारे में बताया जिसका विडिओ भी रिकॉर्ड किया गया ,, मृतक के
परिजनों में पुलिस महानिदेशक ,,सहित सभी संबंधित अधिकारीयों को इस घटना की
शिकायत कर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की ,,लेकिन इसी
दौरान मोहम्मद रमज़ान की मृत्यु हो गयी ,,हिरासत में मोत थी ,कुछ दस्तावेजों
में एस एम एस अस्पताल के डॉक्टरों ने चोटों का हवाला दिया है ,परिजनों की
हत्या का मुक़दमा करने की मांग थी ,लेकिन कोटा पुलिस ने महावीर नगर थाने में
मर्ग नंबर 9 / 2019 दर्ज किया ,पोस्टमार्टम हुआ ,परिजनों को पोस्टमार्टम
रिपोर्ट नहीं दी ,क्या जांच चल रही है ,परिजनों को कोई जानकारी नहीं
,,जिला जज के निर्देशानुसार ,मर्ग की जांच न्यायलय चार उत्तर को दी गयी जो
जांच लिंक मजिस्ट्रेट न्यायालय तीन दक्षिण कोटा ने की ,बयांन के पहले मृतक
के पुत्र ,परिजनों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं दी ,,एफ एस एल रिपोर्ट नहीं
दी , इलाज और चोटों के निशान के पर्चे नहीं दिए ,,कोटा न्यायलय में नक़ल
लगाई ,लेकिन नक़ल देने से इंकार कर दिया गया ,वकील के समक्ष बयांन लेने से
इंकार किया , जो दस्तावेज मृतक के परिजनों के पास थे उन्हें रिकॉर्ड पर जब
नहीं लिया तो मृतक के पुत्र ने माननीय जिला जज कोटा को रजिस्टर्ड पत्र के
ज़रिये समस्त जानकारी देकर ,मर्ग जांच में शामिल करने की प्रार्थना की
,,जांच हो गयी ,जांच रिपोर्ट तैयार हो गयी ,,मृतक के पुत्र ने सोचा अब तो
उसे ,उसके पिता की मृत्यु के कारणों का पता चल जाएगा ,जांच रिपोर्ट
,पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल जायेगी ,,इसी उम्मीद में मृतक के पुत्र ने कोटा
जिला जज के नियंत्रण में नक़ल अधिकारी के समक्ष , 9 /10 /2019 को नक़ल
आवेदन क्रमांक 46263 पेश किया , लेकिन नक़ल प्रभारी ने उक्त सभी दस्तावेज
,जांच रिपोर्ट गोपनीय दस्तावेज की श्रेणी में होने का नॉट डालकर ,नक़ल देने
से इंकार करते हुए ,प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया ,,अपने पिता की मृत्यु के
कारणों की जांच रिपोर्ट एक पुत्र को देने में क्या गोपनीयता है , इस बी
बेबस , लाचार बेटे की समझ में नहीं आ रही है ,इस मायूस बेटे ने अपने
पिता की मृत्यु के कारणों की जांच रिपोर्ट निष्पक्ष करने और जानकारी चाहने
के लिए ,पुलिस अधीक्षक कोटा के समक्ष सुचना के अधिकार के तहत प्रार्थना
पत्र दिया ,,रिपोर्ट देने से इंकार कर दिया ,अदालत में नक़ल का प्रार्थना
पत्र दिया ,दो बार प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया ,अब इस बेटे ने अपनी पिता
की मोत के कारणों की रिपोर्ट जानने के लिए ,, माननीय राजस्थान उच्च
न्यायलय के मुख्य न्यायधीश का दरवाज़ा खटखटाकर ,, एक पत्र के माध्यम से
इस शिकायत को जनहित याचिका मानते हुए ,हिरासत में हुई मौतों संबंधित
निष्पक्ष जांच करने ,,परिजनों को वकील की उपस्थिति में जांच में शामिल होने
और जांच रिपोर्ट ,संबंधित दस्तावेज ,पोस्टमार्टम रिपोर्ट ,देने को लेकर एक
गाइडलाइन तैयार करने ,और सभी अधिनस्थ न्यायालयों को परिजनों को ऐसे
दस्तावेज ,ऐसी रिपोर्ट देने की प्रार्थना की है ,,,मृतक रमजान के पुत्र
मोहम्मद रिज़वान ने , माननीय राजस्थान उच्च न्यायलय के मुख्यन्यायाधीश
महोदय को ज़रिये रजिस्ट्रार महोदय ,लिखित प्रार्थना पत्र भेजकर निवेदन किया
है ,के उसे उसके स्वर्गीय पिता की मृत्यु के कारणों की जांच रिपोर्ट और
संबंधित दस्तावेजात ,पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिलवाने के निर्देश दे , बेटे की
मांग है ,के उसके पिता की पुलिस हिरासत में पिटाई और मृत्यु के कारणों
की जांच माननीय न्यायधीश महोदय खुद अपने नियन्त्र में करवाए ,,पुलिस पिटाई
के मामले में मृतक का वीडियो ,,डॉक्टर के सभी पर्चे जिसमे मृतक के चोटें
होने का कथन है उन्हें रिकॉर्ड पर लेकर सूक्ष्म जांच करवाए और भविष्य के
लिए ऐसे सभी मामलों के लिए एक विशिष्ट गाइडलाइन बनाकर अधीनस्थ न्यायालयों
, अधिकारीयों को पाबंद करवाया जाए ,,,,,,,,,,,,,,,, अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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