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17 अक्तूबर 2019

हे अह्ले किताब! क्यों सत्य को असत्य के साथ मिलाकर संदिग्ध कर देते हो

71 ﴿ हे अह्ले किताब! क्यों सत्य को असत्य के साथ मिलाकर संदिग्ध कर देते हो और सत्य को छुपाते हो, जबकि तुम जानते हो?
72 ﴿ अह्ले किताब के एक समुदाय ने कहा कि दिन के आरंभ में उसपर ईमान ले आओ, जो ईमान वालों पर उतारा गया है और उसके अन्त (अर्थातः संध्या-समय) कुफ़्र कर दो, संभवतः वे फिर[1] जायें।
1. अर्थात मुसलमान इस्लाम से फिर जायें।
73 ﴿ और केवल उसी की मानो, जो तुम्हारे (धर्म) का अनुसरण करे। (हे नबी!) कह दो कि मार्गदर्शन तो वही है, जो अल्लाह का मार्गदर्शन है। (और ये भी न मानो कि) जो (धर्म) तुम्हें दिया गया है, वैसा किसी और को दिया जायेगा अथवा वे तुमसे तुम्हारे पालनहार के पास विवाद कर सकेंगे। आप कह दें कि प्रदान अल्लाह के हाथ में है, वह जिसे चाहे, देता है और अल्लाह विशाल ज्ञानी है।
74 ﴿ वह जिसे चाहे, अपनी दया के साथ विशेष कर देता है तथा अल्लाह बड़ा दानशील है।
75 ﴿ तथा अह्ले किताब में से वो भी है, जिसके पास चाँदी-सोने का ढेर धरोहर रख दो, तो उसे तुम्हें चुका देगा तथा उनमें वो भी है, जिसके पास एक दीनार[1] भी धरोहर रख दो, तो तुम्हें नहीं चुकायेगा, परन्तु जब सदा उसके सिर पर सवार रहो। ये (बात) इसलिए है कि उन्होंने कहा कि उम्मियों के बारे में हमपर कोई दोष[2] नहीं तथा अल्लाह पर जानते हुए झूठ बोलते हैं।
1. दीनार, सोने के सिक्के को कहा जाता है। 2. अर्थात उन के धन का उपभोग करने पर कोई पाप नहीं। क्यों कि यहूदियों ने अपने अतिरिक्त सब का धन ह़लाल समझ रखा था। और दूसरों को वह “उम्मी” कहा करते थे। अर्थात वह लोग जिन के पास कोई आसमानी किताब नहीं है।
76 ﴿ क्यों नहीं, जिसने अपना वचन पूरा किया और (अल्लाह से) डरा, तो वास्तव में अल्लाह डरने वालों से प्रेम करता है।
77 ﴿ निःसंदेह जो अल्लाह के[1] वचन तथा अपनी शपथों के बदले तनिक मूल्य खरीदते हैं, उन्हीं का आख़िरत (परलोक) में कोई भाग नहीं, न प्रलय के दिन अल्लाह उनसे बात करेगा और न उनकी ओर देखेगा और न उन्हें पवित्र करेगा तथा उन्हीं के लिए दुःखदायी यातना है।
1. अल्लाह के वचन से अभिप्राय वह वचन है, जो उन से धर्म पुस्तकों द्वारा लिया गया है।
78 ﴿ और बेशक उनमें से एक गिरोह[1] ऐसा है, जो अपनी ज़बानों को किताब पढ़ते समय मरोड़ते हैं, ताकि तुम उसे पुस्तक में से समझो, जबकि वह पुस्तक में से नहीं है और कहते हैं कि वह अल्लाह के पास से है, जबकि वह अल्लाह के पास से नहीं है और अल्लाह पर जानते हुए झूठ बोलते हैं।
1. इस से अभिप्राय यहूदी विद्वान हैं। और पुस्तक से अभिप्राय तौरात है।
79 ﴿ किसी पुरुष जिसे अल्लाह ने पुस्तक, निर्णय शक्ति और नुबुव्वत दी हो, उसके लिए योग्य नहीं कि लोगों से कहे कि अल्लाह को छोड़कर मेरे दास बन जाओ[1], अपितु (वह तो यही कहेगा कि) तुम अल्लाह वाले बन जाओ। इस कारण कि तुम पुस्तक की शिक्षा देते हो तथा इस कारण कि उसका अध्ययन स्वयं भी करते रहते हो।
1. भावार्थ यह है कि जब नबी के लिये योग्य नहीं कि लोगों से कहे कि मेरी इबादत करो, तो किसी अन्य के लिये कैसे योग्य हो सकता है?
80 ﴿ तथा वह तुम्हें कभी आदेश नहीं देगा कि फ़रिश्तों तथा नबियों को अपना पालनहार[1] (पूज्य) बना लो। क्या तुम्हें कुफ़्र करने का आदेश देगा, जबकि तुम अल्लाह के आज्ञाकारी हो?
1. जैसे अपने पालनहार के आगे झुकते हो, उसी प्रकार उन के आगे भी झुको।

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