अधिवक्ता ( वकील ) !
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ना घूमने जाते हैं, ना फिरने जाते है।
हम वकील है , अदालत के सिवा कही'ना जाते हैं।
ना गाने सुना करते हैं, ना गज़ले सुना करते हैं।
हम वकील हैं, लोगों की परेशानी सुना करते हैं।
अनजान लोगों के दुःख-दर्द कुछ ऐसे पहचान लेते है।
हम वकील हैं, कागज देखकर सब हाल जान लेते हैं।
ना गीता, ना बाइबिल, ना क़ुरान के लिए लड़ते है।
हम वकील है, दंड संहिता,व्यावहार संहिता पढ़ते है।
ना डिस्को में जाते हैं हम, ना डेट पे जाते हैं,
हम वकील है, अक़सर घर देर से जाते है।
खुद ही कहानी लिखते है और खुद ही डायरेक्टर होते हैं।
हम वकील हैं, हमारे अपने परदे, अपने थिएटर होते है।
हसरतें हूबहू है, ख़ुदा नहीं, हम भी बनना इंसान भला चाहते है।
हम वकील है, चाहे कुछ भी हो अपने पक्षकार का भला चाहते हैं।
ना खाकी पे एतबार है , ना खद्दर पे इतना भरोसा करते है।
हम वकील है, लोग हम पे कितना भरोसा करते है।
इश्क़-महरूनी, सर्द-ग़ुलाबी और धानी हम पर सब रँग फ़ब लेते है।
हम वकील हैं, काले कोट के नीचे, जीवन के सब रंग ढक लेते है।
हिन्दू भी खड़ा रहता है, मुस्लिम भी खड़ा रहता है।
ये वकील का दिल है,
इंसानियत भीतर रहती है, मज़हब बाहर खड़ा रहता हैं।
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ना घूमने जाते हैं, ना फिरने जाते है।
हम वकील है , अदालत के सिवा कही'ना जाते हैं।
ना गाने सुना करते हैं, ना गज़ले सुना करते हैं।
हम वकील हैं, लोगों की परेशानी सुना करते हैं।
अनजान लोगों के दुःख-दर्द कुछ ऐसे पहचान लेते है।
हम वकील हैं, कागज देखकर सब हाल जान लेते हैं।
ना गीता, ना बाइबिल, ना क़ुरान के लिए लड़ते है।
हम वकील है, दंड संहिता,व्यावहार संहिता पढ़ते है।
ना डिस्को में जाते हैं हम, ना डेट पे जाते हैं,
हम वकील है, अक़सर घर देर से जाते है।
खुद ही कहानी लिखते है और खुद ही डायरेक्टर होते हैं।
हम वकील हैं, हमारे अपने परदे, अपने थिएटर होते है।
हसरतें हूबहू है, ख़ुदा नहीं, हम भी बनना इंसान भला चाहते है।
हम वकील है, चाहे कुछ भी हो अपने पक्षकार का भला चाहते हैं।
ना खाकी पे एतबार है , ना खद्दर पे इतना भरोसा करते है।
हम वकील है, लोग हम पे कितना भरोसा करते है।
इश्क़-महरूनी, सर्द-ग़ुलाबी और धानी हम पर सब रँग फ़ब लेते है।
हम वकील हैं, काले कोट के नीचे, जीवन के सब रंग ढक लेते है।
हिन्दू भी खड़ा रहता है, मुस्लिम भी खड़ा रहता है।
ये वकील का दिल है,
इंसानियत भीतर रहती है, मज़हब बाहर खड़ा रहता हैं।
पहली बार कुछ पंक्तिया वकीलो के लिए लाया हूँ....
आशा है आपको पसंद आएगी ।।
उखड़ती ज़िन्दगियों को, वो अक्सर संभाल लेता है !
अच्छे अच्छों को, मौत के मुँह से निकाल लेता है !!
न वो हिन्दू देखता है, न कभी मुसलमान देखता है !
खुदा का बंदा है वो, हर शख्स में बस इंसान देखता है !!
केस कितना भी गंभीर हो, वो हिचकिचाता नहीं कभी !
मुकद्दमे की पेचीदगी देखकर, वो सकुचाता नहीं कभी !!
उसके हाथों में जो हुनर है, बखूबी जानता है वो !
अपने पेशे को खुदा की, इबादत मानता है वो !!
जब भी जाता है वो अदालत, खुदा को याद करता है !
सफल हो जाए मुकद्दमा, यही फरियाद करता है !!
केस कितना भी बड़ा हो, वो जी जान लगा देता है !
मुवक्किल को जिताने में, वो पूरा ज्ञान लगा देता है !!
अगर हो जाए सफल तो, हजारों दुआएँ लेता है !
अगर वो हार जाए तो, लोगों का क्रोध सहता है !!
खरी खोटी वो सुनता है, फिर भी खामोश रहता है !
अपनी असफलता का उसको,बहुत अफसोस रहता है !!
वो जानता नहीं किसी को, मगर धीरज बंधाता है !
निरंतर कर्म के पथ पर, वो बढ़ते ही जाता है !!
उसे मालूम है कि जिन्दगी, उस खुदा की रहमत है !
खुदा के बंदों की सेवा, मगर उसकी भी हसरत है ! !
*।।हर वकील को समर्पित ।।*.
आशा है आपको पसंद आएगी ।।
उखड़ती ज़िन्दगियों को, वो अक्सर संभाल लेता है !
अच्छे अच्छों को, मौत के मुँह से निकाल लेता है !!
न वो हिन्दू देखता है, न कभी मुसलमान देखता है !
खुदा का बंदा है वो, हर शख्स में बस इंसान देखता है !!
केस कितना भी गंभीर हो, वो हिचकिचाता नहीं कभी !
मुकद्दमे की पेचीदगी देखकर, वो सकुचाता नहीं कभी !!
उसके हाथों में जो हुनर है, बखूबी जानता है वो !
अपने पेशे को खुदा की, इबादत मानता है वो !!
जब भी जाता है वो अदालत, खुदा को याद करता है !
सफल हो जाए मुकद्दमा, यही फरियाद करता है !!
केस कितना भी बड़ा हो, वो जी जान लगा देता है !
मुवक्किल को जिताने में, वो पूरा ज्ञान लगा देता है !!
अगर हो जाए सफल तो, हजारों दुआएँ लेता है !
अगर वो हार जाए तो, लोगों का क्रोध सहता है !!
खरी खोटी वो सुनता है, फिर भी खामोश रहता है !
अपनी असफलता का उसको,बहुत अफसोस रहता है !!
वो जानता नहीं किसी को, मगर धीरज बंधाता है !
निरंतर कर्म के पथ पर, वो बढ़ते ही जाता है !!
उसे मालूम है कि जिन्दगी, उस खुदा की रहमत है !
खुदा के बंदों की सेवा, मगर उसकी भी हसरत है ! !
*।।हर वकील को समर्पित ।।*.
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