आज़म खान , कहने को शिक्षाविद है ,लेकिन एक नंबर के अहमक़ है ,,विकट हालातों
,,ज़बरदस्त मुखालिफ लहर में भी जीत कर आने की बेवकूफी करने वाले प्रतिनिधि
है ,,ऐसे शख्स को तो लोकसभा से तो क्या ,,देश से ही निकाल देना चाहिए ,,जो
बद्तमीज़ ,है जो बेहूदा है ,,ऐसा शख्स जो लोकसभा का सदस्य है ,लोकसभा में
बहस कर रहा है ,,और मुखातिब चेयरपरसन की तरह नहीं है ,ऐसा शख्स ,जो
चेयरपरसन के टोकने पर ,,उनसे बहन का रिश्ता जोड़ने की बेहूदगी करता है
,प्यारी बहना कहकर मुखातिब होता है ,ऐसे शख्स को ,,जो बेवजह लोगों
से प्यार का ,बहन भाई का रिश्ता जोड़ता है ,ऐसे शख्स को सबक़ तो मिलना ही
चाहिए ,उसे लोकसभा से भी निकालना चाहिए ,उसे जेल में भी डालना चाहिए
,,चेरयरपर्सन की मर्यादा होती है ,वोह किसी बहन ,या किसी का भाई नहीं होते
,चेयरपर्सन तो सिर्फ इज़्ज़तमआब होते है ,,ऐसे बेवक़ूफ़ लोग जो यह भी नहीं
समझते और चेयरपर्सन से अपने उद्बोधन के दौरान बहन भाई का रिश्ता जोड़ते हो
,ऐसे लोगों को तो सज़ा मिलना ही चाहिए ,अब माहौल तो ऐसा ही है ,सज़ा मिलेगी
,बिरोबर मिलेगी ,क्या मिलेगी ,,कैसे मिलेगी ,,इसका सिर्फ इन्तिज़ार है
,,,,अख्तर
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