हिरण्यकश्यप के अहंकार ,ईश्वर के नाम की पाबंदी ,,,सिर्फ खुद के नाम
का गुणगान के अहंकार ,को इस लोकतंत्र की होली में ,,झूंठ ,फरेब ,साज़िशों
को जलाकर ,,हँसते खेलते ,प्रह्लाद यानी ,,ओरिजनल ईश्वर भक्ति ,ओरिजनल
राष्ट्रभक्ति ,,को सम्मान देने का वक़्त आ गया , आओ हम संकल्प ले इस
लोकतंत्र की होली ,में ,,खुद को ईश्वरीय शक्ति ,कहलवाने ,कहने वाली ताक़तों
को हराकर ,, ओरिजनल ईष्ट भक्ति को पुनर्जीवित करे ,,हिरण्यकश्यप के
अहंकार ,,झूंठ ,फरेब ,ज़ुल्म ,ज़्यादती के शासन का अंत कर होलिका दहन
करें और ,,खुशहाली ,,विकास ,,अमन ,सुकून ,प्यार मोहब्बत के प्रह्लाद के
साथ रंगबिरंगे रंगों की खुशियों के साथ , आओ हम सब मिलकर जश्न ऐ अहंकार
,,आज़ादी का जश्न मनाये ,,,,,,होली मुबारक हो ,,,बुराई पर ,अहंकार पर ,,एक
आत्मविश्वास की जीत का यह दिन मुबारक हो ,,,राजस्थान के हिंडौन क्षेत्र
में ही ,हिरण्यकश्यप के अहंकार का दहन हुआ था ,, यही से इस लोकतंत्र के
पर्व में यह शुरुआत हो गयी है ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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