उन्होंने आज ,, मेरे प्यार के अहसास का ,, पर्दाफाश किया ,, मुझे बताया ,,
मेरा प्यार उन्हें रुलाता हैं,, मेरा प्यार उन्हें सताता है, उन्होंने खुद
की खुशियों के लिए , खुद को मुझ से अलग कर लिया , एक जज बन कर ,मुझे हुकम
सुना दिया , मुझ पर इल्ज़ाम मोहब्बत का नही , उन्हें रोज़ रुलाने रोज़ सताने
का है, उन्होंने अब मुझ से आज़ादी का ज़िक्र किया ,, अहसास दिलाया है मुझ से
आज़ाद होकर वो मुस्कुरायेंगे , मेरे साथ तो उन्हें रोना आता है ,, वोह
मुस्कुराये सिर्फ मुस्कुराये यही मेरी दुआ , यही मेरी ख्वाहिश
चाहे मेरे साथ चाहे मेरे बगेर ,, उन्होंने बताया है , मेरी मोहब्बत से
उन्हें खुशी नही तकलीफ होती है , मेरी मोहब्बत में वो खिलखिलाए नही रोज़
रोये है , इसी लिए , खुद की खुदगर्ज़ खुशी के लिए ,, उन्होंने मुझे छोड़ने का
फैसला लिया है, उनके बगेर में जिंदा लाश ही सही ,, उनके बगेर ,खुशिया मेरी
मातम ही सही , बस में क्या करूँ , मेरे साथ तो वोह रोते है रोते है , चलो
कह दो उनसे मुझे छोड़ते हो छोड दो ,, मुस्कुरा लो ,, मुस्कुरा लो ,, अल्लाह
खुशियां मुबारक करे , मुबारक करे ,, मेरे बगेर ,,मेरे बगेर,,,,,एक नामाक़ूल
डायरी के कुछ पन्नो से उतारी गयी , इबारत ,,अख्तर
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