जसोदा बेन को बिना तलाक़ के अलग थलग करने वाले आदरणीय नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री साहिब ट्रिपल तलाक़ से व्यथित मुस्लिम महिलाओं के हमदर्द बने
,,और राजयसभा में बहुमत नहीं होने पर भी ट्रिपल तलाक़ के मामले में ,तलाक़
देने वाले पति को तीन साल की सज़ा से दंडित करने वाले क़ानून पर एक अध्यादेश
जारी कर आदरणीय महामहिम राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करवाकर 19 सितम्बर
अध्यादेश की तिथि से तत्काल इस क़ानून को लागू किया ,लेकिन दोस्तों आदरणीय
नरेंद्र मोदी जी के इस क़ानून को देश के किसी भी थाने ने स्वीकार नहीं किया
,है राजस्थान में नरेंद्र मोदी साहिब के अधीनस्थ भाजपा की सरकार है ,यहां
की मुख्यमंत्री ,गृहमंत्री भाजपा के है ,,लेकिन वोह यहां की पुलिस ,,यहां
के प्रशासन से इस क़ानून का फायदा पीड़िताओं तक नहीं पहुंचा पाए है
,,,राजस्थान के कोटा ज़िले में एक पीड़िता ट्रिपल क़ानून के दर्द से पीड़ित
होकर मुक़दमा दर्ज कराने के लिए थाना ,थाना ,,पुलिस अधिकारियों के दफ्तरों
में भटक रही है ,लेकिन मुस्लिम महिलाओं के हमदर्द बनकर ट्रिपल तलाक़ के
खिलाफ ऑर्डिनेंस पास करने वाले आदरणीय नरेंद्र मोदी साहिब का यह क़ानून कागज़
के टुकड़े से कुछ ज़्यादा साबित नहीं हुआ है ,,कोटा की एक महिला जिसे उसके
पति ने दहेज़ की मांग पूरी नहीं होने ,पर उसे उसके परिजनों के समक्ष तीन
बारे डंके की चोट पर तलाक़ दी ,,पीड़ित महिला अपनी गोदी की बिटिया को लेकर
महिला थाना गयी ,फिर परिवाद दर्ज कराया तो ,दहेज़ के मामले में तो मुक़दमा
दर्ज किया गया लेकिन ट्रिपल तलाक़ क़ानून में अध्यादेश पढ़कर संज्ञेय अपराध
होने पर भी ,महिला थाने वालों ने क्षेत्राधिकार नहीं होने का कहकर दूसरे
थाने में जहाँ पीड़िता रह रही है ,मुक़दमा दर्ज कराने का निर्देश ,दिया
,ट्रिपल क़ानून अध्यादेश में एक साथ तीन तलाक़ देने पर तलाक़ ऐ बिद्दत मानकर
ऐसे पति के खिलाफ जिस क्षेत्र में महिला रह रही है ,उस क्षेत्र में
कार्यवाही का अधिकार दिया गया है ,,संज्ञय अपराध में प्रत्येक थानाधिकारी
का मुक़दमा दर्ज करना कर्तव्य ,है ऐसा नहीं करने पर वोह 166 आई पी सी के तहत
दंडनीय अपराध का मुल्ज़िम होगा ,इस मामले में राजस्थान सरकार के गृह विभाग
ने पुलिस अधिनियम की धारा 30 का हवाला देकर ऐसे दोषी लापरवाह
पुलिसकर्मियों को चेतावनी देते हुए मार्गदर्शित करने ,, क़ानून की पालना
करने और संज्ञय अपराध में मुक़दमे दर्ज नहीं करने वाले पुलिसकर्मी के खिलाफ
कार्यवाही की चेतावनी भी दी है ,,कोटा में ट्रिपल तलाक़ से दुखी मुस्लिम
पीड़िता महिला थाने में पीड़ित हुई फिर जिस थाना क्षेत्र में वोह रहती है
वहां पुलिसंक्रमियों को क़ानून समझ में नहीं आने से प्रताड़ित हुई ,,मुक़दमा
दर्ज नहीं हुआ ,,महिला 154 (३) सी आर पी सी के प्रावधान के तहत वरिष्ठ
पुलिसअधिकारियो के पास अपनी पीढ़ा और ट्रिपल तलाक़ का अध्यादेश लेकर पहुंची
,अधिकारीयों ने अध्यादेश पढ़ा ,,क़ानून की धाराएं देखी ,जिसमे धारा 3 में
मोखीक ट्रिपल तलाक़ देने को प्रतिबंधित किया गया है और ऐसा करने पर ऐसे
व्यक्ति के विरुद्ध जहाँ महिला निवासित है ,उस क्षेत्र को अपराध का
क्षेत्राधिकार बनाते हुए तीन साल की सजा के प्रावधान का ट्रिपल तलाक़ मुक़दमा
दर्ज करने की व्यवस्था है ,,यह अध्यादेश 19 सितम्बर से पुरे देश में लागू
है ,,लेकिन अफ़सोस इस क़ानून के तहत इंसाफ़ मांगने के लिए उक्त पीड़िता चक्क्रर
पे चक्कर काट रही ,है ,,,उसे इन्साफ दिलाने के लिए संबंधित क्षेत्राधिकार
वाले थाने में अभी तक मुक़दमा दर्ज नहीं हुआ है ,,इधर कोटा महिला थाने में
दर्जनों परिवाद पेंडिंग है ,स्टाफ की कमी का कहकर कई परिवाद तत्काल दर्ज
नहीं हो रहे है , अनुसंधान नहीं हो पा रहा है ,तत्काल प्रथम सुचना रिपोर्ट
दर्जकर एफ आइ आर की प्रति परिवादियाँ को नहीं दी जा रही है ,,पुलिस अधीक्षक
कार्यालय से आने वाले परिवाद भी पेंडिंग है ,,,परिवाद पुलिस अधीक्षक
कार्यालय से डिस्पेच होकर महिला थाना पहुंचने के बाद भी तत्काल दर्ज नहीं
होना अनुशासन हीनता की श्रेणी का अपराध ,,,,,है ,,,महिला संगठन इस मामले
में खामोश है ,,सुप्रीमकोर्ट ने हाल ही में स्थाई लोकअदालत समिति में मामला
भेजकर ही मुक़दमा दर्ज करने की बंदिश हटाकर तत्काल मुक़दमा दर्ज करने के
आदेश देते हुए स्वतंत्र अनुसंधान के निर्देश जारी किये है ,,लेकिन तत्काल
मुक़दमा दर्ज करवाना पीड़ित महिलाओं के लिए एक सपना सा बन गया है ,,,यह सब
प्रताड़ना पीड़ित महिलाएं महिला मुख्यमंत्री ,,महिला थानाधिकारी के कार्यकाल
में सह रही है,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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