आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

11 अक्तूबर 2018

वह तुम्हारी कुछ सुनते हैं

कि तुम लोग किसकी इबादत करते हो तो वह बोले हम बुतों की इबादत करते हैं और उन्हीं के मुजाविर बन जाते हैं (71)
इबराहीम ने कहा भला जब तुम लोग उन्हें पुकारते हो तो वह तुम्हारी कुछ सुनते हैं (72)
या तम्हें कुछ नफा या नुक़सान पहुँचा सकते हैं (73)
कहने लगे (कि ये सब तो कुछ नहीं) बल्कि हमने अपने बाप दादाओं को ऐसा ही करते पाया है (74)
इबराहीम ने कहा क्या तुमने देखा भी कि जिन चीज़ों की तुम परसतिश करते हो (75)
या तुम्हारे अगले बाप दादा (करते थे) ये सब मेरे यक़ीनी दुश्मन हैं (76)
मगर सारे जहाँ का पालने वाला जिसने मुझे पैदा किया (वही मेरा दोस्त है) (77)
फिर वही मेरी हिदायत करता है (78)
और वह शख़्स जो मुझे (खाना) खिलाता है और मुझे (पानी) पिलाता है (79)
और जब बीमार पड़ता हूँ तो वही मुझे शिफ़ा इनायत फरमाता है (80)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...