कोटा
नगरविकास न्यास की हठधर्मिता ,,बचकानी प्रशासनिक व्यवस्था के चलते ,,कोटा
की पुलिस ,कोटा के पत्रकारों पर बेरहमी से जानलेवा हमला हुआ ,पुलिस और
पत्रकार लहूलुहान हुए ,लेकिन नगरविकास न्यास के किसी भी अधिकारी का कुछ
नहीं बिगड़ा ,,चुनाव की आचार संहिता और बिना किसी पूर्वअनुमान ,पुर्विचार
विमर्श के ऐसे समूहबद्ध अतिक्रमण को हटाने की कोशिश जहाँ पहले भी विवाद हो
चुके है ,,ऐसे अतिक्रमणो को हटाने के लिए अव्वल तो सुबह सवेरे अचानक ,बिना
किसी खबर लीकेज के कार्यवाही होती है ,,फिर यह सब रणनीति तो धरी रही
,पुलिस लवाजमे की जानजोखिम में डालने के लिए नगर नगरविकास न्यास का जत्था
पत्रकारों की रिपोर्टिंग कार्ड के साथ निकल पढ़ा ,,हमले हुए ज़ाहिर है जो
फिल्डरिपोर्टर है ,जांबाज़ पत्रकार है ,उन्हें पूरी घटना कैमरे में क़ैद तो
करना ही थी ,उन पर हमले ,,जानलेवा हमले ,उनके कैमरे ,सम्पत्ति को नुकसान
पहुंचाना एक बढ़ा अपराध है ,पुलिसकर्मियों को घायल करना खतरनाक अपराध है
,लेकिन अफ़सोस ऐसी बढ़ी घटना पर भाजपा का कोई नेता नहीं बोला है ,,आवाज़ नहीं
उठाई है ,,पुलिस अधीक्षक की सूझबूझ ही थी जो स्थिति नियंत्रित हुई ,क़ानून
का राज स्थापित हो सका वरना डर और खौफ के वातावरण में कोई उस क्षेत्र में
जा नहीं पा रहा था ,अख़बारों की रिपोर्टिंग में अभी तक खुलासा नहीं हुआ
,,अतिक्रमण किन लोगों के थे ,किन लोगों ने बाढ़े बंदी की थी ,हमलावर समूह को
लीड कोन कर रहा था ,,,ऐसी घटनाओ के पीछे पूर्व तैयारियां किसकी थी ,यह
सवाल ,है जो जनता के सामने आना चाहिए ,,वोह बात अलग है सियासी नेताओ के पी
आर ओ बने क़लमकार कहने वालों के पास इन सवालों का जवाब न हो ,,लेकिन
खोजपूर्ण खबरों की बात करने वाले पत्रकार ,अपने साथियों पर हुए हमलों के
पीछे कोन है यह तो जगज़ाहिर करके रहेंगे ,,,,पुलिसकर्मियों की वीडियो
रिकॉर्डिंग में बहुत कुछ साफ़ होगा ,,आगे भी कार्यवाही चलेगी ,लेकिन क़ानून
अपना काम कब करेगा ,जो उत्पीड़ित पत्रकार है उन्हें न्याय कैसे मिलेगा
,उनकी रोज़ी रोटी का ज़रिया बने कैमरे ,,वगेरा की क्षतिपूर्ति कोन करेगा
,धीरज गुप्ता जब प्रेसक्लब के अध्यक्ष थे तब ऐसी एक घटना पर राजस्थान सरकार
ने तुरंत संज्ञान लेकर ,घायल पत्रकारों को तो क्षतिपूर्ति राशि दी गयी थी
,उनका मुफ्त इलाज हुआ ,और ऐसे पत्रकार जिनके कैमरे वगेरा टूटे थे उनके
नुकसान की भरपाई भी हुई थी ,,ऐसा ही इन्साफ घायल पत्रकारों को ,,जिनके
कैमरे वगेरा टूटे है उन्हें मिलना चाहिए ,और रिपोर्टिंग के वक़्त ऐसे हमलों
को रोकने के लिए केसी कार्ययोजना तैयार हो ,,ऐसे घायल पत्रकारों को इन्साफ
कैसे मिले ,,पत्रकार प्रोटेक्शन एक्ट कैसे तैयार कर पत्रकारों को सुरक्षित
किया जाकर हमलावरों को अजमानतीय अपराध में कठोर दण्ड दिलवाया जाए ,इस सुझाव
पर शायद सभी क़लमकार ,पत्रकार सहमत होंगे ,,चाहे वोह निष्पक्ष हो ,निर्भीक
हो ,किसी संस्था में कार्यरत ,हो ,या फिर किसी भी सियासी नेता के कितने ही
नज़दीकी हो ,नेताओ के समर्थक सलाहकार हो ,,चुनाव में उनकी एकतरफा मदद करते
हो ,लेकिन पत्रकारों पर ऐसे हमलों के खिलाफ क़ानून बनाने ,,राजस्थान में
चुनाव के पहले सभी सियासी पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्रों में पत्रकारों
के संरक्षन ,कल्याण ,,समितयों में उनके प्रतिनिधित्व ,,पत्रकार कल्याण कोष
,पत्रकार प्रोटेक्शन एक्ट ,,अखबारों के विज्ञापन निति को लेकर कुछ वायदे
लिखित में तो होना ही चाहिए ,,इसके लिए पत्रकार संगठनों को जेबों में से
बाहर निकलकर सभी ज़िलों में सभी पार्टियों के जिला अध्यक्षों ,,के ज़रिये
उनके कवरिंग लेटर के साथ पार्टी प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रिय अध्यक्षों को
पत्र लिखवाना चाहिए ,घोषणा पत्र समिति में शामिल लोगो से मिलकर इन योजनाओ
को घोषणापत्र में शामिल करने का दबाव बनाना चाहिए ,,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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