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08 जून 2018

ये लोग (हसद के मारे) न तो (हक़ बात) सुन सकते थे न देख सकते थे

मगर जिन लोगों ने सब्र किया और अच्छे (अच्छे) काम किए (वह ऐसे नहीं) ये वह लोग हैं जिनके वास्ते (ख़ुदा की) बखशिश और बहुत बड़ी (खरी) मज़दूरी है (11)
तो जो चीज़ तुम्हारे पास ‘वही’ के ज़रिए से भेजी है उनमें से बाज़ को (सुनाने के वक़्त) शायद तुम फक़त इस ख़्याल से छोड़ देने वाले हो और तुम तंग दिल हो कि मुबादा ये लोग कह बैंठें कि उन पर खज़ाना क्यों नहीं नाजि़ल किया गया या (उनके तसदीक के लिए) उनके साथ कोई फरिशता क्यों न आया तो तुम सिर्फ (अज़ाब से) डराने वाले हो (12)
तुम्हें उनका ख़्याल न करना चाहिए और ख़ुदा हर चीज़ का जि़म्मेदार है क्या ये लोग कहते हैं कि उस शख़्स (तुम) ने इस क़ुरान) को अपनी तरफ से गढ़ लिया है तो तुम (उनसे साफ साफ) कह दो कि अगर तुम (अपने दावे में) सच्चे हो तो (ज़्यादा नहीं) ऐसे दस सूरे अपनी तरफ से गढ़ के ले आओं (13)
और ख़ुदा के सिवा जिस जिस के तुम्हे बुलाते बन पड़े मदद के वास्ते बुला लो उस पर अगर वह तुम्हारी न सुने तो समझ ले कि (ये क़़ुरान) सिर्फ ख़़ुदा के इल्म से नाजि़ल किया गया है और ये कि ख़़ुदा के सिवा कोई माबूद नहीं तो क्या तुम अब भी इस्लाम लाओगे (या नहीं) (14)
नेकी करने वालों में से जो शख़्स दुनिया की जि़न्दगी और उसके रिज़क़ का तालिब हो तो हम उन्हें उनकी कारगुज़ारियों का बदला दुनिया ही में पूरा पूरा भर देते हैं और ये लोग दुनिया में घाटे में नहीं रहेगें (15)
मगर (हाँ) ये वह लोग हैं जिनके लिए आखि़रत में (जहन्नुम की) आग के सिवा कुछ नहीं और जो कुछ दुनिया में उन लोगों ने किया धरा था सब अकारत (बर्बाद) हो गया और जो कुछ ये लोग करते थे सब मलियामेट हो गया (16)
तो क्या जो शख़्स अपने परवरदिगार की तरफ से रौशन दलील पर हो और उसके पीछे ही पीछे उनका एक गवाह हो और उसके क़बल मूसा की किताब (तौरैत) जो (लोगों के लिए) पेशवा और रहमत थी (उसकी तसदीक़ करती हो वह बेहतर है या कोई दूसरा) यही लोग सच्चे इमान लाने वाले और तमाम फिरक़ों में से जो शख़्स भी उसका इन्कार करे तो उसका ठिकाना बस आतिश (जहन्नुम) है तो फिर तुम कहीं उसकी तरफ से शक में न पड़े रहना, बेशक ये क़़ुरान तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से बरहक़ है मगर बहुतेरे लोग इमान नही लाते (17)
और ये जो शख़्स ख़ुदा पर झूठ मूठ बोहतान बांधे उससे ज़्यादा ज़ालिम कौन होगा ऐसे लोग अपने परवरदिगार के हुज़ूर में पेश किए जाएगें और गवाह इज़हार करेगें कि यही वह लोग हैं जिन्होंने अपने परवरदिगार पर झूट (बोहतान)बांधा था सुन रखो कि ज़ालिमों पर ख़ुदा की फिटकार है (18)
जो ख़़ुदा के रास्ते से लोगों को रोकते हैं और उसमें कज़ी (टेढ़ा पन) निकालना चाहते हैं और यही लोग आखि़रत के भी मुन्किर है (19)
ये लोग रुए ज़मीन में न ख़़ुदा को हरा सकते है और न ख़़ुदा के सिवा उनका कोई सरपरस्त होगा उनका अज़ाब दूना कर दिया जाएगा ये लोग (हसद के मारे) न तो (हक़ बात) सुन सकते थे न देख सकते थे (20)

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