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07 जून 2018

(याद रखो) तुम सब को (आखि़रकार) ख़़ुदा ही की तरफ लौटना है

(मैं) उस ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
अलिफ़ लाम रा - ये (क़़ुरान) वह किताब है जिसकी आयते एक वाकिफ़कार हकीम की तरफ से (दलाएल से) खूब मुस्तहकिम (मज़बूत) कर दी गयीं (1)
फिर तफ़सीलदार बयान कर दी गयी हैं ये कि ख़ुदा के सिवा किसी की परसतिश न करो मै तो उसकी तरफ से तुम्हें (अज़ाब से) डराने वाला और (बहिश्त) ख़ुशख़बरी देने वाला (रसूल) हूँ (2)
और ये भी कि अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ माँगों फिर उसकी बारगाह में (गुनाहों से) तौबा करो वही तुम्हें एक मुकर्रर मुद्दत तक अच्छे नुत्फ के फायदे उठाने देगा और वही हर साहबे बुज़ुर्ग को उसकी बुज़ुर्गी (की दाद) अता फरमाएगा और अगर तुमने (उसके हुक्म से) मुँह मोड़ा तो मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े (ख़ौफनाक) दिन के अज़ाब का डर है (3)
(याद रखो) तुम सब को (आखि़रकार) ख़़ुदा ही की तरफ लौटना है और वह हर चीज़ पर (अच्छी तरह) क़ादिर है (4)
(ऐ रसूल) देखो ये कुफ्फ़ार (तुम्हारी अदावत में) अपने सीनों को (गोया) दोहरा किए डालते हैं ताकि ख़़ुदा से (अपनी बातों को) छिपाए रहें (मगर) देखो जब ये लोग अपने कपड़े ख़ूब लपेटते हैं (तब भी तो) ख़़ुदा (उनकी बातों को) जानता है जो छिपाकर करते हैं और खुल्लम खुल्ला करते हैं इसमें शक नहीं कि वह सीनों के भेद तक को खूब जानता है (5)
और ज़मीन पर चलने वालों में कोई ऐसा नहीं जिसकी रोज़ी ख़ुदा के जि़म्मे न हो और ख़ुदा उनके ठिकाने और (मरने के बाद) उनके सौपे जाने की जगह (क़ब्र) को भी जानता है सब कुछ रौशन किताब (लौहे महफूज़) में मौजूद है (6)
और वह तो वही (क़ादिरे मुतलक़) है जिसने आसमानों और ज़मीन को 6 दिन में पैदा किया और (उस वक़्त) उसका अर्श (फलक नहुम) पानी पर था (उसने आसमान व ज़मीन) इस ग़रज़ से बनाया ताकि तुम लोगों को आज़माए कि तुममे ज़्यादा अच्छी कार गुज़ारी वाला कौन है और (ऐ रसूल) अगर तुम (उनसे) कहोगे कि मरने के बाद तुम सबके सब दोबारा (क़ब्रों से) उठाए जाओगे तो काफि़र लोग ज़रुर कह बैठेगें कि ये तो बस खुला हुआ जादू है (7)
और अगर हम गिनती के चन्द रोज़ो तक उन पर अज़ाब करने में देर भी करें तो ये लोग (अपनी शरारत से) बेताम्मुल ज़रुर कहने लगेगें कि (हाए) अज़ाब को कौन सी चीज़ रोक रही है सुन रखो जिस दिन इन पर अज़ाब आ पडे़ तो (फिर) उनके टाले न टलेगा और जिस (अज़ाब) की ये लोग हँसी उड़ाया करते थे वह उनको हर तरह से घेर लेगा (8)
और अगर हम इन्सान को अपनी रहमत का मज़ा चखायें फिर उसको हम उससे छीन लें तो (उस वक़्त) यक़ीनन बड़ा बेआस और नाशुक्रा हो जाता है (9)
(और हमारी शिकायत करने लगता है) और अगर हम तकलीफ के बाद जो उसे पहुँचती थी राहत व आराम का जाएक़ा चखाए तो ज़रुर कहने लगता है कि अब तो सब सख़्तियाँ मुझसे दफा हो गई इसमें शक नहीं कि वह बड़ा (जल्दी खुश होने शेख़ी बाज़ है (10)

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