मेरे मरने के बाद
तुम, मेरी कहानी लिखना...
ग़मों में ड़ूबी हुई
मेरी ज़िन्द'गानी, लिखना...!
लिखना के
मेरे होंठ हंसी को तरसते थे...
कैसे बहता है
मेरी आँखों से पानी, लिखना...!
जब भी
प्यार से मुझे कोई देखता था...
मेरी आँखों से
झलकती मेहरबानी, लिखना...!
लिखना के
मुझे किसी से मुहब्बत हुई थी...
और फिर
इस मुहब्बत में हुई नाकामी, लिखना...!
लिखना के
मुझे कभी कोई समझ नही पाया...
और तुम
ना करते थे मेरी परवाह, लिखना...!
मेरे
एक एक पल से, तुम तो वाक़िफ़ हो...
इस्लिए
मेरी कहानी, तुम अपनी ज़ुबानी, लिखना...!
मेरे मरने के बाद
तुम, मेरी कहानी लिखना...
ग़मों में ड़ूबी हुई
मेरी ज़िन्द'गानी, लिखना...!
तुम, मेरी कहानी लिखना...
ग़मों में ड़ूबी हुई
मेरी ज़िन्द'गानी, लिखना...!
लिखना के
मेरे होंठ हंसी को तरसते थे...
कैसे बहता है
मेरी आँखों से पानी, लिखना...!
जब भी
प्यार से मुझे कोई देखता था...
मेरी आँखों से
झलकती मेहरबानी, लिखना...!
लिखना के
मुझे किसी से मुहब्बत हुई थी...
और फिर
इस मुहब्बत में हुई नाकामी, लिखना...!
लिखना के
मुझे कभी कोई समझ नही पाया...
और तुम
ना करते थे मेरी परवाह, लिखना...!
मेरे
एक एक पल से, तुम तो वाक़िफ़ हो...
इस्लिए
मेरी कहानी, तुम अपनी ज़ुबानी, लिखना...!
मेरे मरने के बाद
तुम, मेरी कहानी लिखना...
ग़मों में ड़ूबी हुई
मेरी ज़िन्द'गानी, लिखना...!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)