आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

16 जून 2018

ऐ मेरे साहिब जी

ऐ मेरे साहिब जी
तुम बिन ईद सूनी सूनी है ,,
ईद की सिवय्या है ,,न फेनी है
तुम बिन ईद सूनी सूनी है ,
न दुआ किसी की
न सर पे हाथ मेरे
न ईद है ,न ईद की ख़ुशी है
यादे है ,बस यादे है
तुम बिन ईद सूनी सूनी है ,
मेरी हिम्मत ,मेरा हौसला
सब तुम ही तो थे ,,
मेरी ताक़त ,मेरी ख़ुशी
बस तुम ही तो थे ,,
कभी ऊँगली पकड़ कर सिखाया
कभी कान पकड़ कर सिखाया
कभी घुड़की पिलाई
कभी प्यार से गले लगाया ,,
ऐ मेरे साहिब
तुम बिन ईद सूनी सूनी है
न ईद की ख़ुशी है
न सिवइयों में मिठास है
बस यादे है
देखो बेटा तुम्हारा यह उदास है ,,
तुम बिन सरपरस्ती नहीं
तुम बिन सब सूना सूना है
किसे सुनाऊ में अपनी तकलीफे
किसे सुनाऊ में अपना दर्द
किसे दिखाऊं में अपने ज़ख्म
बस बढ़ा हो गया हूँ
आंखों में आंसूं
चेहरे पर दिखावटी हंसी
एक टूटा टूटा सा
एक बिखरा बिखरा सा हूँ
ऐ साहिब
तुम बिन सब सूना सूना है ,,अख्तर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...