दोस्तों फोटो पत्रकारिता ,,इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता को नए आयाम देने वाले
मेरे भाई ओमेंद्र सक्सेना का आज जन्म दिन है ,उन्हें मुबारकबाद ,पचास सालों
से बीस साल के बने यह नोजवान अजब लेकिन गज़ब है ,कोटा के कई कार्यक्रम ,कई
आमसभाये ,,कई घटनाये ,दुर्घटनाये इन्होने अपने कैमरे में जान जोखिम डालकर
क़ैद कर ,,खुद को बेस्ट प्रेस फोटोग्राफर साबित किया ,है ओमेंद्र सक्सेना
प्रेस फोटोग्राफी से इलेक्ट्रॉनिक मिडिया पत्रकारिता में आये ,,उन्होंने
नलिनी सिंह की आँखों देखी खबर कार्यक्रम में सहयोग किया ,कई कथा सीरियल
,,कई रिपोर्टिंग खबरे इनकी हिट हुई ,वर्तमान में जयपुर में इनका खुद का
स्टूडियों है ,राजस्थान दूरदर्शन के साथ मिलकर इनका खबर रिपोर्टिंग
कार्यक्रम लगातार जारी है ,प्रेस पत्रकारिता के सुपरहिट हीरो ,,ओमेंद्र
सक्सेना प्रेस क्लब कोटा के सम्पर्पित फाउंडर सदस्य भी रहे है ,,प्रेस क्लब
भवन निर्माण सहित क्लब की कई गतिविधियों में इनकी महत्वपूर्ण सहयोग भूमिका
रही है ,यह प्रेस क्लब के निर्वाचित पदाधिकारी भी अलग अलग कार्यकारिणी
में रहे है वर्मतान में ओमेंद्र सक्सेना पत्रकारों के हक़ संघर्ष और उनकी
पत्रकारिता गुणवत्ता को निखारने के लिए पत्रकारिता क्षेत्र में कार्यरत
राष्ट्रिय स्तर संगठन के पदाधिकारी है जो हर वर्ष कोटा में देश भर के
पत्रकारों को एकत्रित कर एक सेमिनार और सक्रिय पत्रकारों का सम्मान समारोह
रखकर छोटे ,,मंझोले समाचार पत्रों में कार्यरत जांबाज़ पत्रकारों का
उत्साहवर्धन करते है ,बात बात में चुटकुले ,,हंसी मज़ाक़ इनका स्वभाव है ,,हर
अल्फ़ाज़ पर हंसना ,,,हंसाना ,साफ़ गोयी ,,वफादारी ,,सभी की मदद इनके स्वभाव
में शामिल है ,,,इनके पुत्र भी इनसे प्रेरणा लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया
क्षेत्र से जुड़े है,,,सत्तर साल के यह नोजवान ,आज भी लाजवाब है ,यारों के
यार कहे जाने वाले ओमेंद्र सक्सेना की एक महत्वपूर्ण यादगार जो इनके
लुकिंग ,इनकी दाढ़ी इनके अंदाज़ से इन्हे धर्मनिरपेक्ष और क़ौमी एकता की मिसाल
बना देता है ,,इनके एक पत्रकार मित्र जो मुस्लिम समाज के थे उनके साथ
मिलकर वोह इन्हे मुल्ला जी और ओमेंद्र जी उन्हें पंडित जी कहकर पुकारने लगे
,,रामपुरा में इनका कार्यालय ,आसपास के लोग इनके हुलिए से इन्हे सच में
मुल्ला जी समझने लगे ,एक दिन एक पड़ोसी की बेहूदगी ,बदतमीज़ी से तंग आकर जब
इन्होने उन्हें समझाने का प्रयास किया तो वोह उत्तेजित हुए इन्होने बीच
बचाव किया ,,हाथापाई हुई ,बात कोतवाली तक पहुंची ,,फरियादी पडोसी ने एक
पड़ोसी मुल्ला जी और उनके साथ काम कर रहे साथियों के खिलाफ मुक़दमा दर्ज
कराया ,पुलिस शिनाख्त पर ,,ओमेंद्र सक्सेना उनके कार्यरत लोगो के खिलाफ
मुक़दमा बनाया ,अदालत में चालान पेश किया ,उनका वकील में था ,,मुक़दमा दो साल
चलने के बाद आरोप तय हुए ,गवाह में फरियादी को बुलाया गया ,,फरियादी अदालत
पहुंचे ,,फरियादी हिन्दू भाई थे ,वोह मुल्ला जी जैसे दिखने वाले ओमेंद्र
सक्सेना के खिलाफ गवाही देने के लिए अड़े हुए थे ,अदालत में गवाही का नंबर
आया ,, अदालत ने जब सरकार बनाम ओमेंद्र सक्सेना के नाम से आवाज़ दिलवाई तो
,फरियादी चौंका ,उसने पहली बार समझा जिस शख्स को हुलिए से वोह मुल्ला जी
समझ रहा है वोह तो ओमेंद्र सक्सेना उनके अपने समाज का है ,फरियादी के वकील
ने मुझ से कन्फर्म किया ,मेने कहा हाँ यह मुल्ला जी नहीं ओमेंद्र सक्सेना
है ,,गवाह फरियादी पिघल गया ,,वोह बाहर आया ,अदालत से समझौते के लिए टाइम
माँगा और ,बाहर आकर ओमेंद्र सक्सेना से कहा ,,भाईजान ,आप पहले कह देते आप
मुस्लिम नहीं हिन्दू भाई हो ,,तो में रिपोर्ट भी नहीं लिखाता ,ओमेंद्र जी
ने बढ़ी मासूमियत से जवाब दिया भाई तुम्हारी बदतमीज़ी हमलावर तेवर से में
गुस्से में था ,में तुम्हारे हमले को विफल करता या तुम्हे अपना धर्म बताता
,,खेर हंसी मज़ाक़ के माहौल में फरियादी मुल्ज़िम के बीच समझौते से मुक़दमा
खत्म ,हुआ लेकिन यह घटना एक यादगार इतिहास हमारे बीच छोड़ गयी ,,,दोस्तों
ओमेंद्र सक्सेना कोटा प्रेस क्लब को कम्प्यूटर सहित कई उपकरण माइक वगेरा भी
भेंट स्वरूप दे चुके है ,वोह हमेशा पत्रकारों की मदद के लिए ,प्रेस संगठन
के साथ मिलकर किसी भी संघर्ष को करने के लिए तैयार रहते है ,ऐसे मेरे भाई
मुल्ला जी ,ओमेंद्र सक्सेना ,क़ौमी एकता के प्रतीक ओमेंद्र सक्सेना को उनके
नोजवानी सत्तर साला जन्म दिन पर दिली मुबारकबाद ,खुदा उन्हें सेहतयाब रखे
,,उम्रदराज़ करे ,उन्हें हर क्षेत्र में खुशहाली के साथ उन्हें कामयाब करे
,एक बार फिर उन्हें सालगिरह मुबारक ,बधाई
,उनका एक जुमला ,अपनी तो चलती है ,तेरी क्यों ,,,,,,है ,,आज भी ट्रक वाले
,,जीप टेम्पो वाले ,लिखवाकर गर्व महसूस करते है ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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