चूहा अगर पत्थर का हो तो सब उसे पूजते हैं
मगर जिन्दा हो तो मारे बिना चैन नहीं लेते हैं..
साँप अगर पत्थर का हो तो सब उसे पूजते हैं
मगर जिन्दा हो तो उसी वक़्त मार देते हैं..
मगर जिन्दा हो तो मारे बिना चैन नहीं लेते हैं..
साँप अगर पत्थर का हो तो सब उसे पूजते हैं
मगर जिन्दा हो तो उसी वक़्त मार देते हैं..
माँ अगर पत्थर की हो तो सब पूजते हैं,
मगर जिन्दा है तो कीमत नहीं समझते।
बस यही समझ नहीं आता कि
ज़िन्दगी से इतनी नफरत क्यों और
पत्थरों से इतनी मोहब्बत क्यों..
जिस तरह लोग मुर्दे इंसान को कंधा देना पुण्य समझते हैं
काश इस तरह ज़िन्दा इंसान को सहारा देंना पुण्य समझने लगे तो ज़िन्दगी आसान हो जायेगी
मगर जिन्दा है तो कीमत नहीं समझते।
बस यही समझ नहीं आता कि
ज़िन्दगी से इतनी नफरत क्यों और
पत्थरों से इतनी मोहब्बत क्यों..
जिस तरह लोग मुर्दे इंसान को कंधा देना पुण्य समझते हैं
काश इस तरह ज़िन्दा इंसान को सहारा देंना पुण्य समझने लगे तो ज़िन्दगी आसान हो जायेगी
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