मेरी एक पोस्ट पर मेरे भाई से भी ज़्यादा दोस्त एडवोकेट आबिद अब्बासी साहिब
ने कोर्ट में सरकार की तरफ से गवाह बनकर आये सीविलियन की दुर्गति का खाका
खेंचा ,,सच ,अदालतों में सरकारी खर्च पर नौकरी बजाते हुए आने वाले गवाहान
की साक्ष्य उनकी सुविधानुसार अव्वलीन होती है ,,जबकि सिविलियन गवाह ,,पहले
डॉक्टर ,,फिर पुलिस ,,फिर अधिकारी ,,फिर बाद में तुम्हारे बयान होंगे ,,ऐसे
सुनते सुनते परेशान हो जाता है ,,गवाह को उसके आने जाने का खर्च ,,,उसके
काम को छोड़कर आने का मुआवज़ा सरकार की तरफ से दिया जाता
है ,,यह सुझाव कोई अधिकारी ,,कोई सरकारी लोक अभियोजक गवाह को नहीं देता है
,,जबकि ड्यूटी पर गवाही देने आने वालों का ड्यूटी प्रमाणपत्र पहले से ही
तैयार मिलता है ,, सच गवाहों की दुर्गति कैसे बचे ,,उन्हें पूर्व सुरक्षा
कैसे दी जाए ,,उन्हें सरकारी वकील द्वारा पहले ही गवाह देने को लेकर क्या
समझाइश की जाए ,इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के विशेष दिशा निर्देश है
,,लेकिन अफ़सोस सरकार है के ऐसे किसी भी दिशा निर्देश की पालना नहीं कर
पाती जिसमे आम लोगो को राहत का आदेश होता है ,,,खेर इन लोगो की क्या कहे
,विधिक सहायता समिति ऐसे गवाहान की समझाइश ,,उन्हें उनके खर्चे दिलवाने के
लिए एक पेनल बना सकता है ,,खुद अभिभाषक परिषद से जुड़े लोग भी गवाहान को
प्राथमिकता के आधार पर उनके लिए गवाह कक्ष बनाकर ,,उन्हें जल्दी गवाही से
मुक्ति दिलवाकर ,,गवाहान को दिए जाने वाले खर्च का प्रार्थना पत्र अदालत
में दिलवा सकते है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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