पत्रकारिता के मेरे बढे भाई वरिष्ठ पत्रकार ,,पर्यावरण चिंतक आदरणीय
धीरेन्द्र राहुल ने पिछले दिनों एक पोस्ट लिखकर ,,मेरे अनुज और शागिर्द रहे
,,सुनील सिंह पत्रकार के साथ की यादें ताज़ा कर दी ,,सुनील सिंह ,,जनता दल
प्रतिनिधि ,,पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह के नाज़िदीकी के रूप में मुखर
थे ,,लेकिन पत्रकारिता का शोक जब उन्हें लगा ,,तो वोह मेरे पास दैनिक
जननायक स्टेशन रोड पर आकर रोज़ घंटो बैठने लगे ,,शाम को रोज़ जब में पुलिस
अधीक्षक ,शहर ,,ग्रामीण ,, उस वक़त पुलिस उप महानिरीक्षक हुआ करते थे ,,और
संबंधित थानाधिकारियों से खबरों के लिए बात करते वक़त जय हिन्द सुना करते थे
,,सुनील सिंह ने विनम्रता से मुझ से ,,जय हिन्द ,,अलफ़ाज़ खुद इस्तेमाल करने
की इजाज़त मांगी ,उन्होंने पत्रकारिता सीखने की इच्छा ज़ाहिर की ,शुरआती दौर
सुनील सिंह से सम्पादक के नाम पत्र लिखवाये ,,खबरों में साधारण पन होने
से ,,उनके नाम से खबर नहीं लग पा रही ,,थी ,,उन्हें शिकायत थी वोह कहते थे
मेरे नाम से कोई खबर लगाओ ,,मेने उन्हें खबर की गुणवत्ता के आधार पर ,,बाई
लाइन ,,खबर प्रमुख स्थान पर प्रकाशन की मजबूरी बताई ,,एक दिन वोह एक खबर
,,रेशम कीट पालन में करोडो का घोटाला ,,की लेकर आये ,तथ्य थे ,,आंकड़े थे
,,खबर में दम था ,,,खबर सम्पादन कर ,,स्टीमर के रूप में ,,मुख पृष्ठ पर
प्रकाशित हुई ,,खबर हिट हुई ,,लेकिन सुनील सिंह ,,बधाई लेने के लिए दूसरे दिन ,अख़बार के दफ्तर नहीं आये ,,खेर दूसरे दिन उदास से ,,दफ्तर आये ,,हमने बधाई
दी ,,उन्होंने रजनी गंधा ,,डबल ज़ीरो ,,आदत के मुताबिक़ खाया ,,सुनील सिंह
रुहाँसे होकर बोले ,,गुरु ,,खबर तो हिट हो गयी ,,लेकिन घर पर धुनाई हो गयी
,,मेने कहा ऐसा क्यों ,,तब उन्होंने बताया ,,उनके पापा कृषी अधिकारी है
,,घर पर घोटाले की फ़ाइल ,,पापा के जांच अधिकारी होने के नाते पढ़ी थी ,,उसी
फ़ाइल के तथ्यों के आधार पर ,,रेशम कीट पालन घोटाले की खबर बनाई ,,थी ,,खेर
हमने फिर आपसे मिलिए ,,आओ बस्ती चले ,,कार्यक्रम शुरू हुए ,,,सुनील सिंह
,को प्रेस कॉन्फ्रेंस में हम भेजने लगे ,,एक दिन एक अधिकारी की
प्रेसकॉन्फ्रेंस में ,,दो कथित बढे अखबारों के पत्रकारों ने उन्हें
अधिकारियो के सामने छोटा पत्रकार साबित करने का प्रयास किया ,,,खेर सुनील
सिंह ने सारी आपबीती बताई ,,मेने उन्हें समझाया ,,पत्रकार का अख़बार नहीं
,उसका कर्म ,,उसकी कार्यशैली बढ़ी होती है ,,तुम ऐसे हालात बना दो के
अधिकारी बढे अख़बार के बैनर से ज़्यादा ,,तुम्हे पसंद करने ,लगे तुम्हे
गुणवत्ता की खबरे देने लगे ,,सुनील सिंह ,,जय हिन्द के नारे के साथ मिशन
में लगे और दो माह में ,ही ,,कमिश्नर ,,पुलिस महानिरीक्षक ,,कलेक्टर
,,स्थानीय मंत्रियों ,,विधायकों ,,सांसदों ,वरिष्ठ अधिकारियो के समक्ष
अव्वल बन गए ,,रोज़ नियमित उनके पास अखबारों की खबर को लेकर अधिकारियो के
फोन आते ,वोह घंटो अधिकारियो के दफ्रतर में बिना स्लिप के गुज़ारते ,,वरिष्ठ
आई ऐ एस ,,आई पी एस अधिकारी उनके चहेते बन गए ,,लेकिन खबर में उन्होंने
कोई समझौता नहीं किया ,,वरिष्ठ पत्रकारी के नाम पर बढे समाचार पत्रों के
बैनर वाले उनकी यह लोकप्रियता देखकर हैरान थे ,,एक दिन एक कलेक्टर साहिब का
मेरे पास फोन आया ,,उन्होंने शिकायती लहजे में कहा ,,आपके संवाददाता सुनील
सिंह ,,यहाँ लड़ रहे है ,,इन्हे समझाओ ,,पता चला ,कलक्टर साहिब ने बिना
पर्ची के मिलने से इंकार किया था ,,कलक्टर नए थे ,वोह कोटा मिजाज़ नहीं
जानते थे ,लेकिन पूर्व परिचित होने से ,,,मुझ से उन्होंने शिकायत की
,,,मेने कलेक्टर साहिब से सुनील सिंह से बात कराने को कहा ,,उन्हें समझाया
,,,लेकिन सुनील सिंह का एक ही जवाब था ,,गुरु ,,में तो कभी भी पर्ची देकर
नहीं मिलूंगा ,,आखिर ,कलेक्टर साहिब ने उन्हे बिना पर्ची के मिलने की
,,चेंबर में जाने की सभी कर्मचारियों को बुलाकर छूट देने के लिए कहा ,बाद
में वोह कलेक्टर आई ऐ एस अधिकारी उनके सबसे खासमखास हो गए ,,सुनील सिंह
बाद में भास्कर अख़बार में नियुक्त हुए ,,कोटा भास्कर में उन्होंने ज़िद करके
,,क़ानून जानिए ,,के नाम से ,,मेरा एक कॉलम भी कई महीनो तक चलवाया ,,,,एक
दिन अचानक खबर आयी के अख़बार के दफ्तर से घर जाते वक़्त उनके घर के बाहर
मुख्य मार्ग बारां रोड पर कोई अज्ञात वाहन ,,उन्हें टक्कर मार गया ,,जिनकी
अस्पताल में दर्दनाक मोत हो गयी ,,,सुनील सिंह ,,,खोजी पत्रकार के रूप में
कई राज़ अधिकारियो , नेताओ ,,सफेद पॉश भ्रष्ट अपराधियों के जानते थे ,,लेकिन
अचानक हुई इस हादसे की मोत से अब तक कोई पर्दा नहीं उठा सका है ,,किस वाहन
ने किस वक़्त उनके टक्कर मारी पता ही नहीं चला ,,तात्कालिक कोटा कलेक्टर ,,
मुख्यमंत्री के वर्तमान विशिष्ठ सचिव तन्मय कुमार साहिब ने उस वक़्त इस
मामले में जांच करवाने के प्रयास भी किये ,,लेकिन बाद में उनका ट्रांसफर
होने के बाद इस जाँच के दस्तावेज ठन्डे बस्ते में बंद हो गए ,,आज भी मेरे
इस अनुज जांबाज़ पत्रकार ,स्वर्गीय सुनील सिंह की ,आकस्मिक अज्ञात वाहन से
हुई मौत एक अनबुझ पहली बनी हुई है ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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