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29 नवंबर 2017

जो लोग निकम्मे होते है ,,,जो लोग जुमलेबाज होते है

जो लोग निकम्मे होते है ,,,जो लोग जुमलेबाज होते है ,,भाषण बाज़ी में लफ़्फ़ाज़ी कहकर सब्ज़बाग दिखाकर वोटर को ठगते है ,,और उनके निर्वाचन का कार्यकाल पूरा होने पर उन्होंने वायदे जो किये थे उनमे से एक भी वायदा नहीं निभाया ,धरातल पर उन्होने एक भी काम नहीं किया ,,जब गिनाने के लिए कुछ नहीं होता ,तो वोह विदेश से हथियारों के सरगना देश के राष्ट्रपति की पुत्री को प्रचार के लिए देश बुलवाते है ,,गिनाने के लिए कोई भी रचनात्मक काम नहीं होता ,,तो यह लोग बिकाऊ मीडिया को खरीद कर फ़र्ज़ी अफवाहे फैलाते है ,,षड्यंत्र करते है ,,हमने यह यह विकास कार्य किये ,,यह गिनाने की जब इनकी औक़ात नहीं होती तो यह लोग अपने धनबल ,,बाहुबल ,,सरकारी तंत्रो का दुरूपयोग कर आम लोगो में नफरत बांटते है ,धर्म और पंथ का सहारा लेते है ,,फ़र्ज़ी सीडिया बनाकर ब्लेकमेल करने की कोशिश करते है ,,ब्लेकमेल नहीं होने माँ बेटियों की इज़्ज़त उछालते है ,,नफरत फैलाते है ,,षड्यंत्र रचते है ,,कोठे पर नाचने वाली तवायफ की तरह मीडिया के कुछ लोगो को खरीद कर नंगा नाच करते है ,,मंदिर मस्जिद ,,का सहारा लेते है ,,एक राहुल गाँधी ,,मंदिर में जाते है ,सोमनाथ के मंदिर की कोई भी एन्ट्री अगर अहमद पटेल के लिए होती है तो उसे तृतीय पक्षकार द्वारा एन्ट्री किये जाने पर भी ,,मंदिर प्रंबधन को खरीद फरोख्त कर उस एन्ट्री को गलतबयानी कर दुष्प्रचार करते है ,,यही मिडिया साहिब जापानी मेम के साथ इस्लामिक लिबास में जब अहमदाबाद की मस्जिद में जाते है तो उस मस्जिद की एन्ट्री को धार्मिक एन्ट्री के आधार पर नहीं बताते है ,,अजीब लोग है ,,अगर जनता से जो जुमले ,,जो ,,लफ़्फ़ाजी ,,जो भाषणबाज़ी के वक़्त ,,उन्होंने सपने दिखाए थे अगर उनमे से एक प्रतिशत भी पुरे किये होते तो उन्हें वोट के नाम पर यह षड्यंत्र रचना नहीं पढ़ते वैसे भी ,,हिन्दू एक समाज है ,,धर्म तो सनातन है ,,राहुल गांधी या कोई भी हो उसके धर्म ,,मज़हब ,उसकी आस्थाओ का निर्धारण ,,,का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए ,,,,, यह सब कोई साज़िशकर्ता है जो राहुल गाँधी सुरक्षात्मक जानकारियां लेकर ,,किसी भी तरह से उनकी सुरक्षा को खतरा पैदा करना चाहते है ,,,किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा लिखी गयी किसी बात को ,,,साज़िशी तोर पर उछालना साफ़ ज़ाहिर है के सब पहले से ही मैचफ़िक्सिंग था ,,लेकिन भाइयों यह चुनाव है ,,यह पब्लिक है ,,मीडिया खरीद कर बकवासबाजी करवाओ ,,खुद करो ,,कोई फ़र्क़ नहीं पढ़ता ,,यह पब्लिक है सब जानती है ,,परिणाम आये तो देखलेना ,,,अख्तर

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