आपका-अख्तर खान

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02 जून 2017

लोग कहते है

लोग कहते है ,,खूबसूरत ,,महकते फूलों के बीच ,,कुछ ज़हरीली खरपतवार ठीक नहीं ,,इसे तराश डालो ,,,लेकिन मुझ माली की अजब ज़िद है ,,महकते फूलो ,,खूबसूरत फूलो ,,चहकते फूलों के बीच इस ज़हरीली खरपतवार को ,,महकती खरपतवार ,,चहकती खरपतवार ,,खूबसूरत खरपतवार ,,,बनाने की कोशिशों में जुटा हूँ ,,खुदा मुझे मेरे इस मिशन में कामयाब करे ,,,मेरी मिर्ची भी उन्हें शक्कर लगे ,,,मीठी लगे ,,लज़्ज़तदार लगे ,,वोह भी मुस्कुराये ,,में भी मुस्कुराये ,,वोह भी गले मिले ,,में भी गले मिलूं ,,नफरत की खरपतवार छोड़कर वोह खुद महकते गुलाब हो जाए ,,काश ऐसा हो जाए ,,काश ऐसा हो जाए ,,जो मुझ से कहते है ,यह ज़हर फैलाने वाली खरपतवार है इससे खुशबु ,,इससे मिठास ,,की उम्मीद मत रखना ,,अगर ऐसा हो जाए तो मेरे दोस्तों की यह बात के ज़हरीली खरपतवार कभी महक नहीं सकती ,,कभी खुशबु नहीं दे सकती ,,कभी माहौल खूबसूरत नहीं बना सकती ,,बात झूंठी हो जाए ,,काश ऐसा हो जाए ,काश ऐसा हो जाये ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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