अन्नंतपूरा क्षेत्र कोटा स्थित क़ब्रिस्तान के आसपास भूमाफियाओं की नज़र के
बाद ,,कुछ लोगो ने अनावश्यक शहर का वातावरण बिगाड़ने का प्रयास किया ,,लेकिन
साँच को आंच नहीं ,,वर्षो पुराने क़ब्रिस्तान खुद अपने आप में रिकॉर्ड है
,,वक़्फ़ के सर्वेक्षण रिकॉर्ड ,,नगर निगम का सर्वेक्षण रिकॉर्ड ,,वक़्फ़
प्रॉपर्टी रजिस्टर ,,,न्यास का नक़्शा ,,रजिस्टर ,,आवंटन और न्यास द्वारा
उक्त क़ब्रिस्तान में करवाई चार दीवारी ,,सहित अन्य सुविधाओं के विकास कार्य
खुद सुबूत होने के बाद अब ,,भूमाफियाओं के बहकावे में आकर उल
जलूल बयांन देने वाले ,,बैकफुट पर आ गए है ,,ऐसे जनप्रतिनिधि जो सभी
समुदाय के निर्वाचित जनप्रतिनिधि है ,,संविधान की शपथ लेते है ,उन्हें अपने
उकसाऊ कृत्य के लिए माफ़ी मांगकर वातावरण को सौहार्दपूर्ण बनाने में पीछे
नहीं हटना चाहिए ,, क़ब्रिस्तान कई वर्षो पुराना है ,,पूर्व न्यास अध्यक्ष
स्वर्गीय बजरंग सिंदेल ने इस क़ब्रिस्तान को चिन्हित किया था जबकि पूर्व
न्यास अध्यक्ष हरिकृष्ण जोशी ने नए कोटा के विस्तार के समय इस क़ब्रिस्तान
की कागज़ी कार्यवाही की थी ,,जबकि राजस्थान सरकार के सर्वे आयुक्त के
अधीनस्थ सर्वेक्षण में इस स्थान को शुद्ध क़ब्रिस्तान के रूप में सर्वेक्षित
कर सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की गयी थी ,,इस मामले में पूर्व स्वायत्तशासन
मंत्री ने विवाद बढ़ने पर साफ़ तोर पर अपने बयान में कहा है के बिना रिकॉर्ड
देखे किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं होना चाहिए ,,क़ब्रिस्तान मामले में
सरकारी रिकॉर्ड से पुष्ठि की जाना चाहिए ,,इधर मेरी एक पोस्ट पर पूर्व
न्यास सचिव आर डी मीणा ने टिप्पणी में अपने विचार प्रकट करते हुए उदाहरण
के साथ रिकॉर्ड को लेकर सुझाव भी दिए है ,,वर्तमान में रिकॉर्ड की स्थित यह
है के सरकारी रिकॉर्ड में कोटा की एक मस्जिद ,,अलग अलग पटवारी रिपोर्ट के
बाद मस्जिद ,,मस्जिद से मंदीद ,,फिर मंदिर हो गयी जिसे अभी तक दुरुस्त नहीं
किया गया है ,,इसी तरह मुनि जी के कुंड का रिकॉर्ड भी सुधारा नहीं गया है
,,वर्तमान में आज भी चंबल गार्डन ,,वक़्फ़ रिकॉर्ड में वक़्फ़ के खाते में है
,,,जिसे दुरुस्त नहीं किया गया है ,जबकि चंबल गार्डन स्वेच्छा से वक़्फ़ की
तरफ से कोटा शहर के सौंदर्यकरण के लिए दे दिया था ,,,इसी तरह कई स्कूल
,,कॉलेज ,,बस्तियां ,,शॉपिंग सेंटर का काफी वक़्फ़ की सम्पत्ति में दर्ज है
जबकि स्टेशन माचिस फैक्ट्री का क़ब्रिस्तान भी लोगो के अतिक्रमण घेरे में
है ,,,,इसी लिए कहते है जनप्रतिनिधियों को ,शांतप्रिय लोगो ,,को धार्मिक
,स्थलों ,,धार्मिक आस्थाओ के मामले में चाहे वोह किसी भी धर्म से संबंधित
हो धैर्य ,,संयम और तहक़ीक़ात के बाद ,,कोई सार्वजनिक बयांन देना चाहिए
,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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