राजस्थान हाईकोर्ट के आज सेवानिवृत हुए न्यायधीश महेश चंद शर्मा ने गौ
रक्षा को लेकर हिंगोनिया गोशाला में भ्रष्टाचार की त्रेमासिक जांच करने
,,वन विभाग को पांच हज़ार पेड़ लगाने ,,रेवेन्यू रिकॉर्ड सही करने
,,व्यस्थाओं को सुधारने ,,,हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नर और समिति
द्वारा लगातार एक पखवाड़े में रिपोर्ट तैयार कर देने ,,सहित गौ शाला की
चारदीवारी कराने ,,खान पान की सामग्री उपलब्ध कराने ,,गांय को राष्ट्रिय
पशु घोषित करने के लिए महाधिवक्ता द्वारा केंद्र सरकार से वैधानिक
कार्यवाही करने ,,सज़ा बढ़ाकर आजीवन करने तक के सुझाव दिए है ,,,,महेश शर्मा
ने यह 139 पेज के इस आदेश में साफ किया है के प्रकरण यद्धपि 16 मार्च 2012
को आपसी सहमति से निस्तारित हो गया था लेकिन जून जुलाई 2016 को हिंगोनिया
गोशाला में अतिवृष्टि के कारण कई गांयों की मृत्यु हुई ,,उसके बाद अदालत ने
फिर निर्देश जारी किये और गांयो की इस दुर्दशा पर खुद प्रधानमंत्री महोदय
ने एक समिति का गठन किया ,,,नगर निगम राजस्थान सरकार एवं हरे कृष्णा
मूवमेंट चेरिटेबल ट्रस्ट के बीच व्यवस्था सुधारने के लेकर 28 सितम्बर 2016
को एक विस्तृत लिखित समझौता भी हुआ है ,,,फैसले में वैधानिक स्थिति के साथ
साथ हिन्दू आस्था ,,धर्म शास्त्रों की मान्यताओं सहित गांय के उपयोग और
उसके उत्पाद के उपयोग पर भी चर्चा की गई है ,,हाईक्रोट ने इस मामले में
विस्तृत आदेश में गांय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए आम व्यक्ति को
जनहित याचिका लगाने ,,खुद महाधिवक्ता को कार्यवही करने के लिए निर्देश दिए
है ,,,विदित रहे एक अप्रेल 2017 से राजस्थान पहला ऐसा राज्य है जहां गांय
के संरक्षण के नाम पर स्टाम्प ड्यूटी बिक्री पर ,दस प्रतिशत आवश्यक वसूली
अधिभार लगाया है जो अब तक करोडो रूपये एकत्रित हो गए है ,,खुद राजस्थान
सरकार ने प्रदेश की सभी गोशालाओं में गोवंश की सुरक्षा और रखरखाव के लिए
गोशाला संचालन ,,,देखरेख ,,वित्तीय व्वयस्था ,,के लिए एक पृथक से गोशाला
क़ानून 2017 विधानसभा में पारित कर लागु कर दिया है ,,ताज्जुब है इस क़ानून
और स्टाम्प अधिभार उसके बजट को लेकर ,महाधिवक्ता की तरफ से इस मामले में एक
शब्द भी बहस में नहीं कहा गया ,,,जबकि वर्तमान में इस आदेश के पहले ही
राजस्थान सरकार ने गोशाला अधिनियम लागू कर अतिरिक्त बजट की व्यवस्था के लिए
स्टाम्प अधिभार दस प्रतिशत लगाकर करोडो करोड़ रूपये की व्यवस्था राजस्थान
भर की गोशालाओं के लिए कर ली है और मुख्य सचिव स्तर से लेकर जिलाकलेक्टर
,,तक जिला समितियों ,,प्रदेश समिति की व्यवस्था कर दी है ,,इस पारित क़ानून
के अनुत्तरित प्रश्न की वजह से उक्त आदेश की पालना में विरोधाभास सम्भव है
,,लेकिन अब गेंद सरकार के पाले में है ,,राजस्थान सरकार गांय को महाधिवक्ता
के ज़रिये कैसे राष्ट्रिय पशु घोषित करवाने के लिए शेर के स्थान पर गांय
को घोषित करवाने की कार्यवही करती है ,,उसके लिए क्या कार्यवाही होगी देखने
की बात है जबकि क़ानून में बदलाव कर गांय की हत्या करने पर उम्र क़ैद की सजा
का प्रावधान करना भी राजस्थान सरकार की ज़िम्मेदारी है जो शीघ्र ही
परिपत्र जारी कर ,,किया जा सकता है यहां विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर
वर्तमान हालातो में इसे शीघ्र लागू किया जा सकता है ,,पुरे फैसले में
क़ानूनी ,,धार्मिक ,,गोरक्षा सहित ,,जो वंश के उत्पादों को लेकर भी विस्तृत
चर्चा की गयी है ,,संवेधानिक व्यवस्था के तहत गंगा सुधार मामले में झारखंड
हाईकोर्ट के फैसले का भी उदाहरण दिया गया है ,,गोरक्षा ,,गो संरक्षण पर यह
एक ऐतिहासिक विवरणात्मक ,,क़ानूनी ,धार्मिक मान्यताओं ,,गोवंश के फायदे सहित
कई सकारात्मक सुझाव को लेकर महत्वपूर्ण वैधानिक दस्तावेज हो गया है
,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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