आपका-अख्तर खान

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21 मार्च 2017

तुमने भी तो

हमने तुम्हे
पाया तो क्या ,,
तुमने भी तो
हमे पा लिया ,,
लुटे तुम भी हो ,,
लुटे हम भी है ,,
हमे सुकून मिला,,
तुमने सुकून
न तलाशा तो क्या ,,
वोह मुलाक़ातें
याद रहे अगर
तो फिर से
ऐसी ही
मुलाक़ाते करना ,,
वोह मुलाक़ाते
कड़वी है अगर
तो खुदा हाफ़िज़
अल्लाह हाफ़िज़
कहकर बस यूँ ही
अलविदा कह देना ,,अख्तर

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