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21 मार्च 2017

,तीखे ,,मिर्ची वाले अल्फ़ाज़ों में लिखो ,,तो मिर्ची लगती है

दोस्तों अजीब बात है न ,,तीखे ,,मिर्ची वाले अल्फ़ाज़ों में लिखो ,,तो मिर्ची लगती है ,,यह आम बात है ,,लेकिन अगर ,,शक्कर जैसा मीठा लिखने पर भी ,,कुछ लोगो के मिर्चियाँ लगे ,,तो इसका इलाज किसी के पास हो तो बताइयेगा ज़रूर ,,,में पत्रकारिता लेखन के वक़्त अपने गुरु से सिर्फ एक ही बात सीखता था ,के अल्फ़ाज़ ऐसे लिखो जिसमे सच्चाई हो ,,लेकिन मिर्च इतनी तीखी हो ,,के जिसके खिलाफ भी लिखो ,वोह गुस्से में अख़बार ,,फाड़कर टुकड़े टुकड़े कर दे ,,आप पर मुक़दमा कर ,,दे या फिर लड़ने के लिए आ जाए ,,मेने ऐसी कारगुज़ारियां खूब की ,,तीखे अलफ़ाज़ थे ,,लेकिन सच्चे थे ,,,मेरा खुदा ,,मेरा ईमान मेरे साथ था इसीलिए ,,, हर बार जीत मेरी ही हुई ,,खेर पत्रकारिता के बाद ,,मेने सोशल मिडिया का दामन सम्भाला मेने खुद को परिपक्व बनाया ,,सोचा अपने अलफ़ाज़ ,,मीठे ,और लोगो को अच्छा लगे ,,ऐसे होना चाहिए ,,मेने अपनी पुरानी गर्मागर्म ,,आग उगलने वाले अल्फ़ाज़ों की लेखन शैली ,,ठंडे बस्ते में बन्द कर ,अलमारी में रख दी ,,इसके विपरीत ,,सोशल मिडिया के बोझिल वातावरण को मनोरंजक ,,हंसी मज़ाक़ और मधुरता वाला बनाने के लिए ,,मेने अपनी लेखनी से आग उगलने की जगह ,,मिठास उँडेलना शुरू कर दी ,,,में समझता था ,,में लोगो में बुराइयों को भुलाकर सिर्फ अच्छाइयां देखूं ,,उन अच्छाइयों को अपने मित्रो तक भी पहुंचाऊं ,,वातावरण सुमधुर बनेगा ,,इसलिए ब्लॉग ,,वाट्सएप्प ,इंस्ट्राग्राम ,,ट्विटर ,,फेसबुक सभी सोशल मीडिया एक्टिविटी पर मेने ,,शक्कर घोलना शुरू ,की ,कुछ इस शक्कर से भी नाराज़ हुए ,,लेकिन मेने पहली बार महसूस किया ,,के मिर्ची से तो तीखापन होने से ,,मिर्ची लगती है ,,लेकिन आज के इस कलियुग में ,,शक्कर घोलकर परोसे गए ,,अल्फ़ाज़ों से भी लोगो को ऐतराज़ है ,,कुछ लोग है ,,जो शक्कर में भीगे ,,मधुर अल्फ़ाज़ों ,,से भी खुद के मिर्ची की आग महसूस करते है ,,मेने अनुभव किया ,,इन दिनों मेरे मित्र ,,मेरी शक्कर लेखनी से भी कुछेक ,,अंदर ही अंदर सुलग रहे है ,,मिर्ची से भी ज़्यादा तीखी मिर्ची अनुभव कर रहे है ,,लेकिन मित्रों में ऐसा हूँ ,,में बुरे लोगो में भी अच्छाइयां खोजूंगा ,,लिखूंगा ,,उनकी हौसला अफ़ज़ाई करूँगा ,,अपना तो क्या ,,न काहू से दोस्ती न काहू से ,,बेर ,,वाली कहावत अपन ने बदल दी ,,बस नई कहावत ,,सभी से दोस्ती सिर्फ दोस्ती ,,किसी से बेर नहीं ,,किसी से बेर नहीं ,,गुस्ताखी माफ़ ,,,मेरे दोस्तों से गुज़ारिश भी है ,शक्कर में मिठास होती है ,,शक्कर की मिठास का आनन्द ले ,,,कलियुगी वातावरण में इन शक्कर में डूबे किसी की अच्छाइयों के बखान वाले अल्फ़ाज़ों से ,,,शक्कर की मिठास को मिर्ची के तीखेपन के अनुभव में प्लीज़ तब्दील न करे ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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