प्यार भी अजीब है
इसका अहसास अजीब है
मिल जाए तो
फूलों से महकता बाग़
चहचहाती चिडीये है ,
न मिल सके तो
सिर्फ एक बेजान बदन
एक खंमोश क़ब्रिस्तान है ,,
मिले फिर चला जाए
तो एक तपता रेगिस्तान है ,,,अख्तर
इसका अहसास अजीब है
मिल जाए तो
फूलों से महकता बाग़
चहचहाती चिडीये है ,
न मिल सके तो
सिर्फ एक बेजान बदन
एक खंमोश क़ब्रिस्तान है ,,
मिले फिर चला जाए
तो एक तपता रेगिस्तान है ,,,अख्तर
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