आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

22 जनवरी 2017

न मिल सके तो

प्यार भी अजीब है
इसका अहसास अजीब है
मिल जाए तो
फूलों से महकता बाग़
चहचहाती चिडीये है ,
न मिल सके तो
सिर्फ एक बेजान बदन
एक खंमोश क़ब्रिस्तान है ,,
मिले फिर चला जाए
तो एक तपता रेगिस्तान है ,,,अख्तर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...