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03 दिसंबर 2015

एडवोकेट दिवस

आज एडवोकेट दिवस है ,,,,डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति ,,वरिष्ठ अधिवक्ता के जन्म दिन पर ,,वकील साथी आज के दिन तीन दिसम्बर को वकील दिवस मनाते है ,,,ज़रा हम चिंतन करे ,,ज़रा हम सोचे ,,ज़रा हम खुद अपने आप से पूंछे ,,,जो वकील अंग्रेज़ों की गुलामी से लाठी और लंगोट ,,,,एक गुलाब के बल पर हमारे भारत को आज़ाद कराने की हिम्मत रखते थे ,,आज वोह वकील अदालतों में लाचार और बेबस क्यों है ,,,,आज इस वकील के लिए अदालतों में बैठने की सुविधाएँ नहीं है ,,इस वकील की अदालतों में सुनवाई नहीं है ,,यह वकील जो दृष्टांत पेश करते है उन दृस्तान्त का फैसलों में हवाला नहीं है ,,वकील की मोत पर उसे शोक सभा करने का हक़ नहीं है ,,वकीलों के चंदे से चुनाव होते है ,,नेता बनते है ,,बार कोंसिल और बार कोंसिल ऑफ़ इंडिया बनती है ,,लेकिन वकीलों के एकेडमिक कार्य ,,,कल्याणकारी कार्य ,,,के लिए कुछ नहीं है ,,वकीलों के मान सम्मान के संरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है ,,वकीलों का तिरस्कार ,,अपमान करने वाले जज के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं है ,,पारिवारिक अदालतों सहित कई स्थानो पर वकीलों का प्रवेश निषेध है ,,वकील एक नहीं है ,,हद तो यह है के बार कोंसिल ऑफ़ राजस्थान में पहली बार प्रशासक नियुक्त है ,,वक़्त पर चुनाव नहीं है ,,,,मुक़ामी अभिभाषक परिषदो को उनके पंजीकृत क़ानून के तहत चुनाव करने का हक़ नहीं है ,,,जब वकील डर जाता है ,,जब वकील चमचा हो जाता है ,,जब वकील खामोश हो जाता है ,,जब वकील खुद के लिए और पक्षकारों के हक़ के लिए संघर्ष नहीं करता ,,जब वकील पार्टियों में ,,सियासत में ,,जाती धर्म में बंट जाता है,,जब वकीलों की संस्था के चुनाव के प्रचारक गैर वकील भाईसाहब हो जाते है तब एक नयी गुलामी ,,,,एक मनमानी देश में काले अध्याय की शुरआत होती है ,,भाइयो सोचो ,,समझो ,,खुद अपने आप से पूंछो ,,उठो जागो ,,व्यवस्थाओ को सुधारो ,,खुद भी इंसाफ हांसिल करो ,,अपने पक्षकारों को भी सम्मान के साथ इंसाफ दिलवाओ ,,,वकीलों पर हो रही चौधराहट को खत्म करो ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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