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03 नवंबर 2015

ऐ ज़मीर बेचने वालों

ऐ ज़मीर बेचने वालों
ऐ देश बेचने वालों
ऐ खून की होली खेलने वालों
ऐ नफरत फैलाने वालो
यह जो खून से सना
ताजो तख़्त तुम्हारे माथे पर है
इसे तो मेने
मेरे ज़मीर के खातिर
मेरे देश के खातिर
मेरे देश में अमन के खातिर
मेरे देश की आज़ादी के खातिर
मेरे देश की अखंडता के खातिर
में तो आज़ाद हिन्द के लिए
ठुकरा कर बैठा हूँ ,,,
,,,, बहादुर शाह ज़फ़र जो देश के पहले
स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने अपने तख़्त ओ ताज को
भारत की एकता अखंडता के लिए ठुकरा दिया
खुद रंगून जेल में क़ैद हुए ,,इनको नाश्ते की थाली में
दस्तरख्वान के नीचे कपड़ा ढ़क कर अंग्रेज़ों ने
आज़ादी के संघर्ष् में हिस्सेदार होने का दंड
इनके जवान बेटों के सर काट कर दिया था
बाद में इन्हे काल कोठरी फिर मोत मिली ,,
बताओ अपने पूर्वजों में से कोई इतिहास
ढूंढ कर बताओ क्या है कोई ऐसा तुम्हारा
जंगे आज़ादी का सिपाही ,,भारत से प्यार करने वाला
अपने बेटों को क़ुर्बान करने वाला सिपाही ,,
तुम्हारी कोई विरासत नहीं
सिर्फ सियासत ही सियासत है
झूंठ है फरेब है मक्कारी है
वोह भी झूंठा इतिहास
किसी की गद्दारी है
तो किसी ने माफ़ी नामा लिखा है
किसी ने आज़ादी के सिपाहियों के खिलाफ
गवाही देकर उन्हें फांसी दिलवाई है
फिर तुम क्यों इतराते हो यार
आओ मुख्य धारा में आओ
नफरत फैलाना ,,झूंठ बोलना
देश के साथ फरेब करना छोडो
हिंसा छोडो ,,,षड्यंत्र छोडो
झूंठा इतिहास लिखना छोडो
प्लीज़ घर वापस आजाओ ना
देश के लिए जीना सीख लो ना
तुम्हारे पूर्वजों ने तो देश के लिए
आज़ादी के आंदोलन की विरासत नहीं छोड़ी
अब तो प्लीज़ देश को खुशहाल बनाओ ना ,,प्लीज़ ,,प्लीज़ सुधर जाओ ना ,,,अख्तर

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