बात नकारात्मक और सकारात्मक सोच की आई तो एक बहुत अच्छी बात याद आई
"अगर आप रास्ते पे चल रहे हे और आपको वहां पड़ी हुई दो पत्थर की मुर्तिया मिले
1) भगवान राम की
और
2)रावण की
"अगर आप रास्ते पे चल रहे हे और आपको वहां पड़ी हुई दो पत्थर की मुर्तिया मिले
1) भगवान राम की
और
2)रावण की
और आपको एक मूर्ति उठाने का कहा जाए तो अवश्य आप राम की मूर्ति उठा कर घर लेके जाओगे।
क्यों की राम सत्य , निष्ठा,
सकारात्मकता के प्रतिक हे और रावण नकारात्मक का प्रतिक हे।
और आप रास्ते पे चल रहे हो और दो मुर्तिया मिले
राम और रावण की
पर अगर "राम की मूर्ति पत्थर" की और "रावण की सोने "की
और एक मूर्ति उठाने को कहा जाए तो आप राम की मूर्ति छोड़ कर रावण की सोने की मूर्ति उठाओ गे"
मतलब ये हुआ के
हम सत्य और असत्य
सकारात्मक और नकारात्मक
अपनी सुविधा और लाभ के अनुसार तय करते हे।
क्यों की राम सत्य , निष्ठा,
सकारात्मकता के प्रतिक हे और रावण नकारात्मक का प्रतिक हे।
और आप रास्ते पे चल रहे हो और दो मुर्तिया मिले
राम और रावण की
पर अगर "राम की मूर्ति पत्थर" की और "रावण की सोने "की
और एक मूर्ति उठाने को कहा जाए तो आप राम की मूर्ति छोड़ कर रावण की सोने की मूर्ति उठाओ गे"
मतलब ये हुआ के
हम सत्य और असत्य
सकारात्मक और नकारात्मक
अपनी सुविधा और लाभ के अनुसार तय करते हे।
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