नहीं है कोई ,,खुदा के सिवा और महोम्मद उसके रसूल है ,,पढ़ो ,,पढ़ो ,,पढ़ो
,,,पढ़ने के लिए चाहे चीन भी जाना पढ़े लेकिन पढ़ो ,,,,,,,,,सारी कायनात खुदा
की बनाई हुई है ,,यह ज़मीन ,,,यह आसमान खुदा के इशारे पर बने है ,,,दुनिया
की हर चीज़ खुदा के हुकम से बनी है ,,,,,,,,,खुदा का ना शुक्राना मत करो
,,खुदा के खौफ से डरो ,,,खुदा का पैगाम इंसानियत के नाम है ,,यह चरिन्दे
,,यह परिंदे ,,यह पैढ पोधे सब खुदा के ही बनाये हुए है ,,यह चाँद तारे ,,यह
बिना खम्बो के खड़ा आसमान खुदा का ही मोजज़ा है ,,उसी की इबादत करो ,,,,,उसी
से मांगो ,,,,,,,,किसी का दिल मत दुखाओ वगेरा वगेरा ,, दोस्तों खुदा के
इस पैगाम को मेरे एक गैर मुस्लिम भाई जो सोनी समाज से है तीन दिन में क़ुरआन
शरीफ का तर्जुमा पढ़ने के बाद समझ गए ,,,लेकिन अफ़सोस नाम के हमारे मुस्लिम
भाई आज भी इस्लाम और इंसानियत ,,एकता का पाठ नहीं पढ़ पाये है
,,,,,,,,दोस्तों यह गैर मुस्लिम भाई ने हिंदी अनुवादित क़ुरांन शरीफ पढ़ने
की इच्छा जताई ,,हमारे दफ्तर में रखे हिंदी अनुवाद के क़ुरानशरीफ को इन्होने
बा अदब ,,साफ़ सफाई के बारे में जानकारी लेकर पढ़ा ,,समझा ,,रात रात भर पढ़ा
और तीसरे दिन पुरे क़ुरआन का सारांश इन्हे कंठस्थ याद था ,,इनके आचरण में
बदलाव था ,,,,,,,,,,भाई सोनी ने जब क़ुरआन के सारांश ,,अल्लाह और उसके रसूल
के पैगाम को हर्फ़ ब हर्फ़ बिना देखे ,,बिना पढ़े फर्राटे से सुनाया तो अदालत
परिसर में उपस्थित सभी लोग आवाक इस बुज़ुर्ग के मनोविज्ञान को देख रहे थे
,,,,,दोस्तों एक गैर मुस्लिम भाई हमारे इस्लाम की बारीकियों ,,उसके संदेश
,,उसकी सीख को केवल तीन दिन में सीख सकता है लेकिन मुस्लिम होकर भी ज़िंदगी
गुज़ार देते है और इस्लाम की तह तक इस्लाम की बुनियादी तालीम तक पहुंच कर
उसका अनुसरण नहीं करते है ,,सिर्फ और सिर्फ हम लोग मठाधीश बने है ,,एक
दूसरे की कमिया निकालना ,,एक दूसरे को नीचा दिखाना ,,किसी को मुनाफ़िक़
,,किसी को काफ़िर ,,किसी को दूसरे मसलक का कहकर हम खुद को महान समझने लगे है
,,हम दूसरे शख्स की कमिया निकालकर ,,तोबा ,,अस्तग़फरूल्ला कह कर ,,काफ़िर
,,नास्तिक ,,,मुनाफ़िक़ कहकर खुद को मुसलमान का दावा करते है ,,लेकिन मेरे
भाइयो कितने लोग है जो क़ुरांशरीफ तर्जुमे से पढ़कर उसके मफ़हूम को इन साहब
की तरफ समझ पाये है ,,कितने लोग है जो फतवे और तक़वे के फ़र्क़ को जानते है
,,कितने लोग है जो ग़ैबत करना अपने भाई का गोश्त खाने के बराबर गुनाह है इसे
मानते है ,,झूंठ फरेब ,,मककाारी ,,सियासत ,,मौकापरस्ती ,बिना कुछ सोचे
समझे दूसरे की बात काटना उसमे कमिया निकालना हमारा आदर्श इस्लाम नहीं
सिखाता ,,हमे एक होना है ,,नेक होना है ,,बढ़ा दिल रखना है ,,हम हुज़ूर स अ व
की उम्मत है ,,हममे और दूसरे ख़बीसो में फ़र्क़ होना ही चाहिए ,,हमारे आचरण
में एक महासमुंद्र होना चाहिये जिसमे सब कुछ समा लेने का जज़्बा होना चाहिए
,,बेवजह टीका टिप्पणी कर एक दूसरे का दिल दुखाने की कोशिशो में जुटे मेरे
भाइयो क्या तुम्हे पता है हमारे एक लाख चौबीस हज़ार अम्बिया ऐ इकराम
,,पैगम्बर कौन थे उनका नाम किया है ,,वोह किस तरह का आचरण करते थे अगर पता
नहीं है तो पहले इन एक लाख चौबीस हज़ार अम्बिया ऐ इकराम के बारे में भी जान
लो ,,इनके हालातो के बारे में भी जानो ,,सिर्फ कलमा पढ़ना ही इस्लाम नहीं
इस्लाम को पढ़ना और उसका अनुसरण करना ही इस्लाम है ,,उसको जीना ,,इस्लाम को
,,हुज़ूर स अ व की सीख को अपने आचरण में ढालना ही इस्लाम है ,,तो दोस्तों
पढ़ो ,, इस्लाम के बारे में पढ़ो ,,सकारात्मक सोच के साथ पढ़ो ,,,,एक मुकम्मल
मुसलमान किसी फ़िरक़े पर भरोसा नहीं करता ,,किसी विचार ,,किसी सोच का गुलाम
नहीं होता बस अल्लाह और उसके रसूल की सीख ही उसका लक्ष्य और जीने का सलीक़ा
होता है ,,तो दोस्तों पढ़िए प्लीज़ पढ़िए ,,इस्लाम के पुरे एक लाख चौबीस हज़ार
अमबिया ऐ इकराम के बारे में पढ़िए ,,क़ुरान शरीफ के मफ़हूम को समझिए
,,क़ुरांशरीफ में लिखे गए जीने के सलीक़े को मानिए ,,किसी का दिल मत दुखाइए
,,कोई भी टिप्पणी करने ,,लोगो को अलग अलग फ़िरक़े का समझकर नफरत करने के
पहले इस्लाम की बुनियादी तालीम को समझिए ,,,,बढ़ा दिल रखिए ,,अपना मज़हब
सर्वसम्मानित है सर्व मान्य है तो किसी दूसरे के अक़ीदे का भी हम सम्मान
करे ,,हमे इस कड़वे सच को समझना होगा के खुदा की मर्ज़ी के बगैर पहाड़ ,,आसमान
,,कथित रूप से बनाये गए दूसरे मज़हब नहीं बनसकते ,,इसमें खुदा की मर्ज़ी
शामिल है और इसकी बेहतरी खुदा बेहतर जानता है ,,वरना सोचो इस्लाम की तरफ
झुके होने के बाद भी कई लोग तकलीफ में और जो इस्लाम से दूर है लेकिन उनके
आचरण ठीक होने पर उन्हें खुदा क्यों नवाज़ रहा है ,,खुदा की नवाज़िश सभी
दुनिया वालो के लिए है अल्लाह पूरी दुनिया का रब है ,,,किसी वर्ग विशेष या
किसी वर्ग जाती समाज का रब नहीं ,,,,,,,,,,,,,आदमूल मख्लूक़ का अल्लाह
निगेहबान है और क़यामत के दिन फैसला अल्लाह का इन्साफ करेगा हमे दुसरो के
बारे में टीका टिप्पणी करने की जगह हमारी अपनी आख़िरत सुधारने पर ध्यान
देना होगा अगर हम सुधरे ,,एक हुए नेक हुए ,,फ़िरक़ों में ना बटे ,मस्जिदो को
फ़िरक़ों में ना बांटा तो दुनिया की कोई ताक़त हमे झुका नहीं सकती ,,हमे हरा
नहीं सकती ,,,,, कोटा में यह काम एक जुट करने का काम ,,इस्लाम का पैगाम
देने का काम कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ,,,गुलशेर अहमद ,,नईम फलाही और कई
साथी बखूबी निभा रहे है ,,खुद उन्हें कामयाब करे और हमारी गलतियों को माफ़
कर हमे नेक तौफ़ीक़ अता फरमाये ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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